बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस पार्टी पर लोकपाल कानून बनाने में दिलचस्पी नहीं रखने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि सरकार की सोची-समझी रणनीति के तहत जानबूझकर की गयी कार्रवाई के कारण राज्यसभा में लोकपाल पारित नहीं हो सका.
अपनी सेवा यात्रा के प्रथम चरण में रविवार को आठवें जिले औरंगाबाद से लौटने के बाद पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश ने कांग्रेस पर यह आरोप लगाया.
उन्होंने कहा कि संसदीय शासन प्रणाली में विपक्ष को संशोधन प्रस्ताव देने का अधिकार है. विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव व्यवहारिक थे. तीन दिनों के लिए लोकसभा की कार्यावधि को बढ़ाया गया था तो बारह बजे रात्रि में राज्यसभा को क्यों स्थगित किया गया. उसे भी जारी रखा जा सकता था.
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में नीतीश ने कहा कि उन्होंने कई बार यह सवाल किया है कि राजद को लोकसभा में अगली पंक्ति में स्थान देने का क्या कारण है. मेरे प्रश्न का उत्तर न तो कांग्रेस ने दिया न ही राजद ने. कांग्रेस और राजद की मिली भगत है. सेवा देने वाले और सेवा लेने वाले में गठजोड़ है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा यह कहा जाना कि विपक्ष ने इतने संशोधन प्रस्ताव दिए, जिसके कारण लोकपाल पारित नहीं हो सका, हास्यास्पद है.
नीतीश ने कहा कि सिर्फ विपक्ष ही नहीं बल्कि सरकार के सहयोगी दलों ने भी संशोधन प्रस्ताव दिए, जबकि पूरे मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी संसद के प्रति होती है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी विश्वसनीयता और रूतबा खो दिया है. इस सरकार की न तो साख बची है और न ही धाक. देशहित में वह जनता के बीच जाए.