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राइट टू रिकॉल: कांग्रेस ने अव्यावहारिक, भाजपा ने कहा विचार जरूरी

कांग्रेस ने कहा कि अन्ना हजारे की मांग के मुताबिक, निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने और खारिज करने का अधिकार ‘व्यावहारिक नहीं’ है क्योंकि देश के ‘50 फीसदी लोग मतदान नहीं करते’, वहीं भाजपा ने कहा कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

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बीजेपी
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कांग्रेस ने कहा कि अन्ना हजारे की मांग के मुताबिक, निर्वाचित प्रतिनिधियों को वापस बुलाने और खारिज करने का अधिकार ‘व्यावहारिक नहीं’ है क्योंकि देश के ‘50 फीसदी लोग मतदान नहीं करते’, वहीं भाजपा ने कहा कि इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘वापस बुलाने का अधिकार भारत में व्यावहारिक नहीं है. देश में 50 फीसदी लोग मतदान के लिए नहीं जाते. जो प्रत्याशी चुनाव जीतते हैं, वे 13-14 करोड़ मतदाताओं में से केवल तीन करोड़ मत पाकर जीत जाते हैं.. इसलिए मुझे नहीं लगता कि यह देश में संभव है.’

प्रत्याशियों को खारिज करने के अधिकार की मांग पर उन्होंने कहा, ‘यह भी उसी स्थिति में लागू किया जा सकता है, जब ज्यादा से ज्यादा मतदाता मतदान के लिए आगे आएं. सबसे पहले हमें यह सुनिश्चित करने की कोशिश करनी होगी कि 80 से 90 फीसदी मतदाता मतदान के लिए जाएं, अन्यथा खारिज करने का अधिकार भी व्यावहारिक नहीं है.’

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लोकपाल मुद्दे पर 12 दिन बाद अनशन समाप्त करने के फौरन बाद अन्ना हजारे ने कल कहा था कि अब उनकी लड़ाई चुनाव सुधारों के रूप में वापस बुलाने के अधिकार और प्रत्याशियों को खारिज करने के अधिकार के तौर पर होगी, ताकि भ्रष्टाचार को कम किया जा सके.

हजारे ने कल कहा था, ‘हमें निर्वाचन तंत्र में सुधार लाना होगा. खारिज करने का अधिकार (हमें चाहिए) . ऐसा होना चाहिए कि आप मतदान पत्र के प्रत्याशियों को खारिज कर सकें. हमें यह करना होगा.’ चुनाव सुधारों का समर्थन करते हुए भाजपा नेता राजनाथ सिंह ने कहा, ‘जहां तक व्यवस्था में सुधार का प्रश्न है, हम उसके पक्ष में हैं.

चुनाव तंत्र, प्रशासनिक तंत्र और आर्थिक तंत्र में बदलाव आना चाहिए.’ जेपी आंदोलन को याद करते हुए सिंह ने कहा, ‘जब जेपी ने देश में संपूर्ण क्रांति की बात कही थी, तब उस समय वापस बुलाने के अधिकार और खारिज करने के अधिकार का मुद्दा भी उठा था. इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.’

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