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सुधारों पर हिचके नहीं सरकार: राहुल गांधी

कांग्रेस की संवाद बैठक में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बाद जिसके संवाद पर कांग्रेस की नजरें टिकी थी, वो हैं राहुल गांधी. आम तौर पर बड़े मुद्दों पर खामोश रहने वाले राहुल ने आर्थिक सुधारों की जमकर पैरवी की और चुनाव के मसले पर पार्टी नेताओं से कहा कि आखिरी दम तक लड़ने की तैयारी रखो.

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राहुल गांधी
राहुल गांधी

कांग्रेस की संवाद बैठक में सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बाद जिसके संवाद पर कांग्रेस की नजरें टिकी थी, वो हैं राहुल गांधी. आम तौर पर बड़े मुद्दों पर खामोश रहने वाले राहुल ने आर्थिक सुधारों की जमकर पैरवी की और चुनाव के मसले पर पार्टी नेताओं से कहा कि आखिरी दम तक लड़ने की तैयारी रखो.

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सोनिया और मनमोहन के बाद संवाद का ये सम्मान राहुल गांधी को ही मिला. सोनिया की छेड़ी बात पर बोलने को तो कांग्रेस के तमाम नेता बोले, लेकिन सबकी नजरें टिकी थीं राहुल पर कि वो क्या कहते हैं. सूत्रों के मुताबिक, जिस एफडीआई पर बवाल मचा है, उसके बचाव में खुलकर सामने आए राहुल गांधी और वो भी इतिहास के कई पन्नों को खोलते हुए.

राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को सुधार के मसले पर हिचकने की कोई जरूरत नहीं है. अपनी दादी इंदिरा गांधी का हवाला देते हुए राहुल ने कहा कि 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के समय भी विरोधियों ने कम हंगामा नहीं मचाया था. राहुल ने 1990 के दशक में कांग्रेस ने आर्थिक सुधारों की भी चर्चा की, जिसके खिलाफ विपक्ष भड़का हुआ था.

राहुल के मुताबिक, जब राजीव गांधी ने कंप्यूटर लाया तो भी त्राहिमाम करने वालों की कमी नहीं थी. संवादहीनता के दौर में राहुल का ये संवाद कांग्रेस के नेताओं के लिए संजीवनी का काम कर रही होगी. आखिर सरकार और संगठन की दशा-दिशा तय करने वाले मसलों पर राहुल ने मुंह जो खोला. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक, उस बंद बैठक में राहुल भी आर-पार के मूड में थे.

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राहुल ने तमाम नेताओं से कहा कि कांग्रेस ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं. इसलिए उन्हें डरने की नहीं, बल्कि आखिरी दम तक इस राजनीतिक लड़ाई को लड़ने की जरूरत है. ना मौका था, ना दस्तूर, लेकिन राहुल का ये नया रंग कांग्रेस के नेताओं को इतना पसंद आया कि कई नेताओं ने उनके लिए बड़ी भूमिका की मांग कर दी. लेकिन उनकी मांगों को फिलहाल आगे के लिए टाल दिया गया है.

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