तेलंगाना से कांग्रेस विधायकों द्वारा हाईकमान के खिलाफ अपने दुस्साहस के बाद उनके सामने 'आगे कुआं, पीछे खाई' जैसी स्थिति बन गई है और वे अब ‘बचने का रास्ता’ ढूंढ रहे हैं.
एक तरफ जहां तेलंगाना से कांग्रेस के नेता आंध्र-रायलसीमा इलाके के अपने साथियों के बीच उपहास का पात्र बन गये हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी लाइन पर चलने और अलग राज्य बनाने के लिये चल रहे नाटक को खत्म करने के लिये हाईकमान की तरफ से उन पर जबर्दस्त दबाव है.
तेलगाना कांग्रेस द्वारा आयोजित किया गया 48 घंटे का भूख हड़ताल बिना किसी प्रभाव के मात्र 33 घंटे में खत्म हो गया.
सूत्रों के मुताबिक अलग तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर चार जुलाई को सांसदों और विधान परिषद सदस्यों के साथ इस्तीफा देने वाले मंत्री और विधायक अपने इस्तीफे को वापस लेने के इच्छुक हैं, लेकिन वे लोगों के गुस्से के डर से वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.