अन्ना हजारे और बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के जवाब में कांग्रेस ने प्रचार अभियान की शुरूआत करते हुये नागरिक समाज के एक हिस्से पर लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया.
वित्त मंत्री मुखर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि संविधान ने केवल संसद और और राज्य विधानसभाओं को कानून बनाने का अधिकार दिया है. अगर 5,000 अथवा 6,000 लोग बाहर से यह निर्देशित करने लगे कि संसद को क्या करना चाहिये तो यह लोकतंत्र को कमजोर बनायेगा. पार्टी के विचारों से संबंधित अंग्रेजी में एक दस्तावेज को जारी करते हुये उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरे देश में जागरूकता अभियान चलाने जा रही है.
उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज को अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध कराया जायेगा. हमारे विचारों को सामने रखने के लिये जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक चर्चा और सेमिनारों का आयोजन किया जायेगा.
लोकपाल बिल को 15 अगस्त तक पारित किये जाने के हजारे के समयसीमा को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र ने सुझाव दिया था कि लोक पाल बिल को संसद के मानसून सत्र में पेश कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि समय सीमा के बारे में बताना संभव नहीं है कि इस बिल को कब पास किया जायेगा.
हज़ारे ने सोनिया से कहा कि पांच अप्रैल को जब मैंने जंतर-मंतर पर अनशन किया तो हमने किसी भी दल के नेता को मंच पर आने की अनुमति नहीं दी. पूरे देशवासियों ने यह देखा और आप भी इस बात को जानती हैं. ऐसे में मुझपर भाजपा और संघ का मुखौटा होने का आरोप लगाना कहां तक सही है?
उन्होंने कहा कि अनशन के बाद मैं गुजरात गया और कहा कि महात्मा गांधी का राज्य होते हुए भी वहां कई घोटाले हैं. वहां भाजपा की सरकार है. अगर मेरा भाजपा से संबंध होता तो मैं इस तरह की बात क्यों कहता.
गांधीवादी ने पत्र में कहा कि कालेधन के मुद्दे पर बाबा रामदेव के अनशन में शामिल होने के बारे में उन्होंने एक शर्त रखी थी कि मंच पर किसी पार्टी के लोग या साम्प्रदायिक तत्वों के नहीं होने पर ही वह रामलीला मैदान जायेंगे. ऐसे में उन पर भाजपा और संघ का मुखौटा होने का आरोप कैसे लगाया जा सकता है. अगर इस बारे में कांग्रेस के पास कोई ठोस सबूत है तो वह कृपया उन्हें सार्वजनिक करे. गौरतलब है कि पिछले दिनों कांग्रेस नेताओं ने हज़ारे पर भाजपा और संघ का मुखौटा होने का आरोप लगाया था.
हज़ारे ने सोनिया से कहा कि आपकी पार्टी के महासचिवों द्वारा ये महाझूठी बातें कही गयी हैं. यह मुझे चिंता का विषय लगती हैं और आहत करती हैं. हज़ारे ने लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर भी कांग्रेस और सरकार को आड़े हाथ लिया.
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष से सवाल किया कि सरकार को अगर लोकपाल विधेयक संसद में पेश करने में रूचि है तो नागरिक समाज के सदस्यों के साथ इस तरह का र्दुव्यवहार क्यों किया गया.
हज़ारे ने कहा कि सरकार के कई जिम्मेदार मंत्रियों की झूठ बोलकर मुझे बदनाम करने की साजिश और लोकपाल विधेयक में महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल करने के प्रति सरकार की उदासीनता को देखते हुए मैं इस निर्णय पर पहुंचा हूं कि सरकार में बैठे लोग धोखा देते है और झूठ बोलते हैं.
सोनिया को लिखे पत्र में गांधीवादी ने दोहराया कि अगर 15 अगस्त तक एक सख्त लोकपाल कानून नहीं बना तो जब तक शरीर में प्राण है, वह अनशन करेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी विनती है कि आप आपकी पार्टी के कई जिम्मेदार लोगों को बेवजह किसी का चरित्र हनन करने से रोकें और सरकार भी जनलोकपाल विधेयक के बारे में जनता को गुमराह करने की कोशिश नहीं करे.