सरकार ने कहा कि लोकपाल विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिये केंद्रीय कैबिनेट के पास भेजने से पहले वह उस पर राजनीतिक दलों के साथ चर्चा करेगी.
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार लोकपाल मसौदा संयुक्त समिति द्वारा तैयार किये जाने वाले मसौदे के बारे में मुख्यमंत्रियों के भी विचार जानेगी.
उन्होंने कहा, ‘सरकार मसौदे को कैबिनेट के पास भेजने से पहले राजनीतिक दलों से उनके विचार जानेगी. मसौदे को लेकर जो भी सहमति और असहमति वाले बिंदु होंगे, उन्हें राजनीतिक दलों के समक्ष रखा जायेगा.’
कैबिनेट में पेश होने के बाद लोकपाल मसौदा विधेयक का क्या होगा, इस पर सिब्बल ने कहा कि इसे संसद में पेश किया जायेगा और संसद फिर इसे स्थायी समिति के पास भेजने का फैसला कर सकती है.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से निपटने का मुद्दा महत्वपूर्ण है और सरकार यह नहीं मानती कि समाज के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाकर कुछ गलत किया है.
प्रभावशाली लोकपाल बनाने की कोशिशें करने का श्रेय समाज के सदस्यों को देते हुए सिब्बल ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ताओं की सभी मांगें स्वीकार करना संभव नहीं है.
मसौदा समिति में सरकार की ओर से शामिल सिब्बल ने गांधीवादी अन्ना हज़ारे को गुजरात सरकार के खिलाफ आंदोलन नहीं करने के लिये आड़े हाथ लिया जहां लोकायुक्त नहीं है. उन्होंने कहा कि हज़ारे को कर्नाटक में भी अनशन करना चाहिये जहां मुख्यमंत्री बी. एस येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.
सिब्बल ने कहा, ‘हज़ारे गुजरात में अनशन क्यों नहीं करते जहां लोकायुक्त नहीं है. कर्नाटक में भी उन्हें अनशन करना चाहिये.’