संसद के बजट सत्र की पूर्व संध्या पर लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की ओर से रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में जेपीसी के गठन को लेकर शीतकालीन सत्र से चला आ रहा गतिरोध टूटता नजर आया और सरकार 22 फरवरी को सदन में इसके गठन का प्रस्ताव ला सकती है.
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मीरा कुमार और भाजपा सहित अन्य विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं ने जेपीसी पर बना गतिरोध टूटने का संकेत देते हुए पूरी उम्मीद जताई कि सोमवार से शुरू हो रहा संसद का बजट सत्र सुगम तरीके से चलेगा.
बैठक में सरकार की ओर से संकेत दिया गया कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जेपीसी से जांच कराने संबंधी प्रस्ताव 22 तारीख को लोकसभा में पेश किया जा सकता है.
बताया जाता है कि लोकसभा में सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बैठक में विपक्ष के नेताओं को इस बात का आश्वासन दिया. सूत्रों के अनुसार सरकार केवल 2जी स्पेक्ट्रम की जांच ही जेपीसी से कराने को राजी हुई है और इसके दायरे में राष्ट्रमंडल खेलों और आदर्श सोसायटी अनियमितताओं को शामिल करने से इंकार कर दिया है.
बताया जाता है कि विपक्ष ने इसमें राष्ट्रमंडल खेलों और आदर्श सोसायटी मामलों का शामिल किए जाने पर जोर नहीं डाला है. वह इन मुद्दां पर अलग से चर्चा के लिए तैयार हो गया है.{mospagebreak}
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा, ‘मुझे पूरी उम्मीद है कि संसद का बजट सत्र शांतिपूर्ण, उपयोगी और उत्पादक होगा.’ उन्होंने कहा कि सरकार विपक्ष से हर मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है. उन्होंने कहा, ‘बजट सत्र में बहुत महत्वपूर्ण और बहुत सारे काम काज निपटाने हैं.’
जेपीसी गठन के बारे में पूछे जाने पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि बैठक में सब दलों के नेताओं ने इच्छा जताई कि सदन सुचारू रूप से चले. सत्ता पक्ष और विपक्ष गहन विचार विमर्श कर रहे हैं (जेपीसी गठन पर). मेरा पूरा विश्वास है कि गतिरोध टूटेगा और दोनों पक्ष कारगर कदम उठाएंगे.’ कम्युनिस्ट पार्टी के गुरूदास दासगुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार तो जेपीसी गठन के लिए पहले ही तैयार हो चुकी है.’ उनसे सवाल किया गया था कि सरकार क्या 22 फरवरी को जेपीसी गठन की घोषणा करेगी.
भाजपा के गोपीनाथ मुंडे ने कहा, सरकार अगर जेपीसी गठन का मन बना चुकी है तो उसे 22 तारीख को सदन में इसकी घोषणा कर देनी चाहिए. ऐसा करने से वातावरण अच्छा बनेगा और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाएगी.{mospagebreak}
जेपीसी के दायरे में आदर्श सोसायटी और राष्ट्रमंडल खेलों जैसे विषय लाने पर जोर नहीं देने का संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों विषयों सहित मंहगाई और कालाधन जैसे मुद्दों पर राजग आक्रामक रूख अपनाकर अलग से चर्चा उठाएगा.
मीरा कुमार की ओर से बुलाई गई इस बैठक में अन्य लोगों के अलावा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल, तृणमूल कांग्रेस के सुबोध बंदोपाध्याय, सपा के रेवती रमण, जदयू के रामसुंदर दास और तेलगु देशम के नामोनागेश्वर राव शामिल थे.
संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अभिभाषण से कल बजट सत्र की शुरूआत होगी. इसके बाद 25 फरवरी को रेल बजट और बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण तथा 28 तारीख को आम बजट सदन में पेश किए जाएंगे.
इससे पहले जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने जेपीसी के मामले को सुलझाने के लिए इस बात के पर्याप्त संकेत दे चुके थे कि विपक्ष राष्ट्रमंडल खेल और आदर्श घोटाले को टूजी स्पेक्ट्रम के साथ जेपीसी के दायरे में लाने पर अड़ा नहीं रहेगा. शरद उस बात से भी सहमत दिखे जो सरकार के उस विचार से अनुरूप है कि जेपीसी का कार्यकाल निश्चित होना चाहिए.{mospagebreak}
सरकार स्पष्ट कर दिया था कि वह यह कतई नहीं चाहेगी कि जेपीपी का कार्यकाल अनिश्चित हो. सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘‘हम यह नहीं चाहते हैं जेपीसी अपनी जांच जारी रखे और इस अगले लोकसभा चुनाव तक ले जाए ताकि चुनिंदा लीक के जरिये सरकार की छवि को धूमिल की जाए. हम यह भी चाहेंगे कि जेपीसी के तहत जांच केवल टूजी स्पेक्ट्रम मामले की हो.’
यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष जेपीसी के जांच के दायरे में तीनों मामलों को लाने पर जोर नहीं देने पर सहमत है और क्या वह जांच की समयसीमा निर्धारित किये जाने को स्वीकार करेगी, शरद ने कहा, ‘हम सभी विकल्पों पर चर्चा के लिए तैयार हैं और जेपीसी का कार्यकाल के बारे में सरकार को निर्णय करना है.’
उधर आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा है ‘अगर शीतकालीन सत्र के शुरूआती दिन ही विपक्ष को अपनी बात कहने का मौका मिलता, तो उस दिन और बाकी पूरे सत्र तक चले गतिरोध की नौबत ही नहीं आती.’ आडवाणी ने लिखा, ‘विपक्ष की नाराजगी इसलिए ज्यादा रही क्योंकि जब विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बोलना शुरू किया तो पूरे सत्ता पक्ष ने उन्हें बोलने ही नहीं दिया.’
आडवाणी के मुताबिक, इसके बाद सभी विपक्षी दल इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जब तक सरकार इन घोटालों की जांच के लिए जेपीसी बनाने के लिए तैयार नहीं हो जाती, तब तक संसद में कोई काम नहीं होगा.