बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेकहा कि 10 लाख रुपये से अधिक की लागत परियोजना की निर्माण कार्य एजेंसियों का राज्य में पंजीकरण अनिवार्य होगा और उनसे कामगार कल्याण के लिए उपकर वसूला जाएगा.
निर्माण कार्य में लगे असंगठित क्षेत्र के कामगारों के कल्याण के लिए अनुदान वितरण की योजना का शुभारंभ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा,'सड़क, भवन और अन्य प्रकार के 10 लाख रुपये से अधिक की परियोजना के निर्माण में लगी सभी एजेंसियों का राज्य अनिवार्य रूप से पंजीकरण होगा और कामगार कल्याण के लिए उनसे एक फीसदी उपकर वसूला जाएगा.’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1996 में कामगार कल्याण के लिए उपकर लगाने के लिए बने केंद्रीय कानून को राजग सरकार ने राज्य में लागू किया है. सरकार ने निर्माण क्षेत्र के कामगारों के अधिकारों की रक्षा को सुनिश्चित किया है. निर्माण कार्य में लगी सरकारी तथा निजी एजेंसियों से 2008 से अब तक 132 करोड़ रुपये उपकर के रूप में वसूल किये हैं.
श्रम संसाधन विभाग ने निर्माण कार्य में लगे असंगठित क्षेत्र के अब तक 21 हजार श्रमिकों का निबंधन किया है, जिसे बढाया जाएगा.नीतीश कुमार ने निर्माण कामगारों को घर बनाने, औजार तथा साइकिल खरीदने के लिए प्रति व्यक्ति 15 हजार रुपये अनुदान देने की योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि निर्माण एजेंसियों ने उपकर की वसूली कड़ाई से की जाएगी. उन्होंने कहा कि पहले की सरकारें योजना के आकार की निर्धारित चार हजार करोड़ रुपये की राशि भी ठीक से खर्च नहीं कर पाती थी.
2005 में राजग गठबंधन की सरकार बनने के बाद राज्य की योजना का आकार लगातार बढ़ा है. वर्ष 2011-12 के दौरान यह 24 हजार करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें से 10 हजार करोड़ रुपये केवल निर्माण कार्य पर हो रहे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में निर्माण कार्य गतिविधियों के बढ़ने से बाहर कामगारों का पलायन रुका है, जिससे देश के कई राज्यों में मजदूरों की कमी के कारण निर्माण कार्य और कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है.
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और राज्य के श्रम संसाधन मंत्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने भी संबोधित किया.