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AIIMS प्रवेश परीक्षा का मुन्नाभाई दोषी करार

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पारामेडिकल पाठ्यक्रम की 2001 में हुई प्रवेश परीक्षा में एक अन्य छात्र की जगह परीक्षा देने के मामले में दिल्ली की अदालत ने एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है.

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पारामेडिकल पाठ्यक्रम की 2001 में हुई प्रवेश परीक्षा में एक अन्य छात्र की जगह परीक्षा देने के मामले में दिल्ली की अदालत ने एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है.

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अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट शैलेन्द्र मलिक ने बिहार निवासी आलोक कुमार को बिहार के ही एक अन्य छात्र राजीव कुमार के स्थान पर ‘एम्स बीएससी (आनर्स) पारामेडिकल पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षा’ में शामिल होने को लेकर दोषी ठहराया. अदालत इस युवक की सजा की घोषणा बाद में करेगी.

अदालत ने आलोक कुमार को भारतीय दंड संहिता के तहत दूसरे व्यक्ति के रूप में खुद को पेश करने, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करने के आरोप में दोषी ठहराते हुए कहा कि सीबीआई ने एम्स के बीएससी (आनर्स) पारामेडिकल पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षा में एक अन्य छात्र के स्थान पर अभियुक्त के उपस्थित होने को प्रमाणित कर दिया है.

सीबीआई ने आलोक कुमार और राजीव कुमार के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और दूसरे के स्थान पर खुद को पेश करने के मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था.

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हालांकि, 26 मार्च 2010 को सुनवाई के दौरान राजीव ने अपनी सजा कम कराने के लिए समझौते की पेशकश की, जिसके बाद उसे 9 सितंबर 2010 को दो महीने की सजा हुई. अदालत ने उस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. राजीव को इस राशि का भुगतान सरकार को करना था.

जांच एजेंसी ने इन दोनों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. इनके खिलाफ एम्स के तत्कालीन निदेशक पीके दवे ने लिखित शिकायत की थी. उन्होंने 14 अगस्त 2001 को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि 26 जून 2001 को यहां एक स्कूल में आयोजित बीएससी पारामेडिकल पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षा के दौरान दूसरे छात्र के स्थान पर परीक्षा देने के आठ मामलों का पता चला. उन्होंने आरोप लगाया था कि यह कुछ लोगों द्वारा किया गया सुव्यवस्थित, पूर्वनियोजित और संगठित कार्य था. शिकायत की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि राजीव ने एम्स पारामेडिकल पाठ्यक्रम के लिए आवेदन किया था. इसके बाद उसने अपनी प्रवेश परीक्षा के लिए पंकज और आलोक के साथ साजिश रची. इसके बाद पंकज और आलेक 26 जून 2001 को दिल्ली आकर पहाड़गंज के एक होटल में ठहरे.

इसके अगले दिन आलोक खुद को राजीव के रूप में पेश करते हुए परीक्षा में उपस्थित हुआ. इस परीक्षा में राजीव उन 29 छात्रों में था, जिन्हें सफल घोषित किया गया था. काउंसलिंग में जब राजीव पेश हुआ तब एम्स की काउंसलिग समिति के सदस्यों को शक हुआ. इसके बाद राजीव की विस्तृत लिखित परीक्षा ली गई और इसी दौरान उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. जांच के दौरान यह भी पता चला कि पंकज ने ही आलोक से संपर्क करके उससे राजीव के स्थान पनर पर परीक्षा में शामिल होने का आग्रह किया था. इस मामले में पंकज फरार है और इसलिए आलोक तथा राजीव के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था.

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