दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 जी स्पेक्ट्रम मामले में द्रमुक सांसद कनिमोझी और कलेंगनर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार की जमानत याचिका के संबंध में सीबीआई को नोटिस जारी किया है.
न्यायमूर्ति अजीत भरिहोक ने कहा, ‘सीबीआई को 30 मई तक का नोटिस जारी करें.’ न्यायमूर्ति भरिहोक ने इस मामले में पांच कॉरपोरेट दिग्गजों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
अदालत ने जांच एजेंसी से कहा है कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर मामले की न्यायिक कार्रवाई के बारे में और जांच किस चरण में है, इसकी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे.
द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि की पुत्री कनिमोझी और शरद कुमार ने कल दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी जमानत के लिए याचिका दी थी. इसके पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने 20 मई को उनकी ‘फौरन’ गिरफ्तारी का आदेश दिया था.
जमानत याचिका खारिज करते हुए विशेष अदालत ने कहा था कि जिस अपराध के बारे में कहा जा रहा है, वह गंभीर था और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता.
कनिमोझी ने विशेष अदालत में महिला होने के आधार पर जमानत याचिका दायर की थी. इसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा कि उन्हें स्कूल जाने वाली अपनी बच्ची की देखभाल करनी होती है. उसके पिता विदेश में रहते हैं और ऐसे में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है.
कनिमोझी ने वकीलों वी जी प्रगासम, एस जे एरिस्टोटल और सुदर्शन राजन के माध्यम से जमानत याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता (कनिमोझी) को अपनी स्कूल जाने वाली बच्ची की देखभाल करनी होती है. उनके पति विदेश में काम करते हैं और अदालत को उन्हें जमानत दे देनी चाहिए.’ कनिमोझी और कुमार का नाम सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में दायर किया है. दोनों पर आरोप है कि उन्होंने लगभग 200 करोड़ रुपये की कथित तौर पर रिश्वत ली.
कनिमोझी और कुमार, दोनों की कलेंगनर टीवी प्राइवेट लिमिटेड में 20-20 फीसदी की हिस्सेदारी है, जिसे कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. चैनल की शेष 60 फीसदी हिस्सेदारी द्रमुक प्रमुख की पत्नी दयालु अम्माल के नाम पर है.
अपनी जमानत याचिका में द्रमुक सांसद ने दावा किया है कि वह निर्दोष हैं और उन्हें ‘भेदभाव भरी मीडिया रिपोर्टिंग के आधार पर’ गलत तरीके से फंसाया गया है. मीडिया की ये रिपोर्टिंग अटकलों पर आधारित है.
कनिमोझी ने कहा कि उन्होंने जांच के दौरान सीबीआई से पूरा सहयोग किया और अदालत के समन का भी अपनी ओर से पालन किया है.
द्रमुक सांसद ने विशेष न्यायाधीश द्वारा अपने आदेश में दी गई इस टिप्पणी का भी संदर्भ दिया कि उन्होंने अदालत में नियमित तौर पर उपस्थित रहकर ‘बहुत गरिमामय आचरण’ पेश किया है इसलिए उन्हें जमानत दी जानी चाहिए.
याचिका के मुताबिक, ‘वह अपनी जड़ों से जुड़ी समाज की सम्मानित महिला हैं. संसद सदस्य और कानून से बंधी नागरिक होने के नाते, न तो वह कानून से भागेंगी, न सबूतों से छेड़छाड़ करेंगी और न ही मुकदमे की कार्रवाई में हस्तक्षेप करेंगी.’ उन्होंने कहा है, ‘संसद सदस्य और राज्यसभा में द्रमुक की सचेतक होने के नाते, उन्हें संसद के सत्रों और पार्टी की समय-समय पर होने वाली बैठकों में भाग लेना होता है.’