scorecardresearch
 

SIT रिपोर्ट को लेकर कोर्ट का फैसला 15 फरवरी तक टला

तीस्ता सीतलवाड़ सहित विभिन्न सामाजिक कार्यकताओं द्वारा दायर अर्जियों पर एक स्थानीय अदालत ने अपना फैसला 15 फरवरी के लिए टाल दिया.

Advertisement
X
जकिया जाफरी
जकिया जाफरी

Advertisement

तीस्ता सीतलवाड़ सहित विभिन्न सामाजिक कार्यकताओं द्वारा दायर अर्जियों पर एक स्थानीय अदालत ने अपना फैसला 15 फरवरी के लिए टाल दिया. अर्जियों में 2002 में गोधरा पश्चात हुए दंगों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं अन्य के खिलाफ जकिया जाफरी की शिकायत पर एसआइटी रपट की प्रतियां सौंपने का अनुरोध किया गया है.

मेट्रोपालिटन मजिस्टेट्र एम एस भट्ट की अदालत में आज सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने अर्जियों का विरोध किया. एसआईटी ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ताओं को प्रति हासिल करने का कोई अधिकार नहीं है. एसआईटी ने पिछले हफ्ते अदालत को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी थी.

एसआईटी के वकील आर एस जम्बुआर ने कहा कि यदि अदालत कहती है कि कोई साक्ष्य नहीं होने के कारण शिकायत को बंद कर दिया जाये तभी प्रतियां उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार प्रति मूल शिकायतकर्ता :जकिया: को सौंपी जा सकती है.

Advertisement

विशेष जांच दल ने एक अर्जी दाखिल कर जांच संबंधी बयानों, सबूतों और दस्तावेजों को दाखिल करने के लिए एक माह का समय मांगा है. अर्जी में कहा गया कि सामग्री काफी अधिक है और उसे बेतरतीब ढंग से रखा गया है लिहाजा कागजों को क्रमबद्ध करने के लिए समय की जरूरत पड़ेगी ताकि उन्हें अदालत को सौंपा जा सके. जम्बुआर ने कहा कि दस्तावेज महत्वपूर्ण हैं और उन्हें कड़ी सुरक्षा के रखा जाना चाहिए.

उन्होंने स्वीकार किया कि एसआईटी ने उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त न्याय मित्र राजू रामचन्द्रन की रपट हासिल कर ली थी और अपनी रपट को अंतिम रूप में सौंपने से पहले उस पर विचार किया था. उन्होंने यह भी कहा कि एसआईटी ने अपनी अंतिम रपट तैयार करते समय न्याय मित्र की रपट को ध्यान में रखा है.

जकिया के वकील एस एम वोहरा ने कहा कि मूल शिकायतकर्ता होने के नाते उनकी मुवक्किल को उच्चतम न्यायालय के आदेश के तहत प्रतियां मिलनी चाहिए.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने फैसला 15 फरवरी के लिए टाल दिया.

Advertisement
Advertisement