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खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को लेकर मचा घमासान

खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पर शुक्रवार को देश में घमासान मच गया. संसद के भीतर व बाहर दोनों ही जगह राजनीतिक दल इसके विरोध में उतर आए. दोनों सदनों की कार्यवाही तक ठप्प रही. उद्योग जगत ने हालांकि इस फैसले का स्वागत किया और सरकार ने रोजगार बढ़ने का हवाला देते हुए इस फैसले का बचाव किया.

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खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी पर शुक्रवार को देश में घमासान मच गया. संसद के भीतर व बाहर दोनों ही जगह राजनीतिक दल इसके विरोध में उतर आए. दोनों सदनों की कार्यवाही तक ठप्प रही. उद्योग जगत ने हालांकि इस फैसले का स्वागत किया और सरकार ने रोजगार बढ़ने का हवाला देते हुए इस फैसले का बचाव किया.

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 फीसदी और सिंगल ब्रांड में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी थी. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने शुक्रवार को इस फैसले की औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि इस मुद्दे से जुड़े सभी लोगों के साथ एक साल तक लोकतांत्रिक ढंग से चली चर्चाओं एवं बहस के बाद यह निर्णय लिया गया है.

उन्होंने कहा, "मल्डी ब्रांड खुदरा क्षेत्र में न्यूनतम एफडीआई 10 करोड़ डॉलर का होगा. यह न्यूनतम है अधिकतम नहीं. इसमें से 50 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र की अवसंरचना विकास में निवेश करना होगा. लघु एवं मध्यम उपक्रमों से 30 फीसदी वस्तुएं लेनी होंगी." शर्मा ने सरकार के निर्णय का बचाव किया. उन्होंने कहा कि विदेशी खुदरा कम्पनियों की सहायता से प्रभावशाली आपूर्ति व्यवस्था के निर्माण एवं शीत गृह आदि जैसी आधारभूत संरचनाओं के निर्माण में मदद मिलेगी. शर्मा ने कहा कि वर्तमान ने इसकी कमी होने के कारण 40 से 50 फीसदी खाद्य पदार्थ नष्ट हो जाते हैं. दस लाख या उससे अधिक की जनसंख्या वाले शहरों में ही यह स्टोर खोलने की अनुमति मिलेगी.

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उन्होंने कहा कि खुदरा क्षेत्र की बड़ी कम्पनियां किसानों से सीधे उत्पाद खरीदेंगी, उन्हें उत्पाद की अच्छी कीमत देंगी, क्योंकि बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी. इससे पहले संसद के दोनों सदनों में इस मामले पर जमकर हंगामा हुआ. जिसके कारण उनकी कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. इसके साथ ही मंगलवार को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र का पूरा सप्ताह बिना किसी काम के गुजर गया.

लोकसभा में केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस ने यह मुद्दा उठाते हुए इसे रद्द करने की मांग की. तृणमूल के सांसद लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के आसन के समक्ष खड़े हो गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम दलों के सांसदों ने भी उनका साथ दिया. भारी हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही पहले दोपहर तक स्थगित कर दी. कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा, तो पीठासीन अधिकारी एम. थम्बीदुरई ने सदन की बैठक सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी.

राज्यसभा में भी विपक्षी दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया, जिसके बाद सभापति हामिद अंसारी ने पहले दोपहर 12 बजे तक और फिर दिनभर के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. इतना ही नहीं विभिन्न दलों के नेताओं ने भी इस फैसले से नाखुशी व्यक्त की है. भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने कहा कि अगर उत्तर प्रदेश में वॉलमार्ट का एक भी स्टोर खुला तो वह अपने हाथों से उसमें आग लगा देंगी.

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भारती ने पत्रकारों से कहा कि छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले इस कदम से प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने यह कदम उठाकर सीधे-सीधे गरीबों की रोटी छीनने की कोशिश की है. मुझे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं राहुल गांधी पर गुस्सा आ रहा है जिन्हें उत्तर प्रदेश पर काफी गुस्सा आता है. उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया तो केंद्र सरकार रोजगार का अधिग्रहण कर रही है."

उन्होंने ने कहा, "खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ाने के खिलाफ मैं लखनऊ के अमीनाबाद में वॉलमार्ट का पुतला दहन करुं गी. यदि उत्तर प्रदेश में वॉलमार्ट का एक भी स्टोर खुला तो मैं अपने हाथों से उसमें आग लगा दूंगी. भले ही मुझे जेल हो जाए." बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे बेरोजगारी बढ़ाने वाला बताया है.

पटना में पत्रकारों से शुक्रवार को चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए सरकार को अपना मॉडल बनाना चाहिए. केवल बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के लिए दरवाजे खोल देने से कुछ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि देश में लाखों लोगों को खुदरा क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है. अगर इस क्षेत्र में बड़ी कम्पनियां आएंगी तो छोटे और खुदरा क्षेत्र के लोगों पर संकट आ जाएगा जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी. उन्होंने केंद्र सरकार से इस फैसले फिर से विचार करने को कहा.

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इसके विपरीत उद्योग जगत ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. भारती वालमार्ट के प्रमुख राजन भारती मित्तल ने कहा, "हम हमेशा से कहते आए हैं कि भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र के विकास से किसान, छोटे उत्पादकों एवं ग्राहकों को अत्यधिक लाभ पहुंचेगा. साथ ही रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे."

आदित्य बिड़ला रिटेल के मुख्य कार्यकारी थामस वर्गीज ने कहा, "इस कदम से भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र के विकास के लिए खुले अवसर उपलब्ध होंगे और इससे कोल्ड स्टोर, भंडार गृहों, माल ढुलाई, ठेके पर आधारित खेती एवं छोटे व्यवसायों के क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा." इस बारे में टाटा स्टील के उप प्रमुख बी. मुथुरमन ने कहा, "इससे भारत में संगठित खुदरा क्षेत्र के विकास की विशाल सम्भावनाएं खुलेंगी और कोल्ड स्टोर, भंडार गृहों, माल ढुलाई एवं ठेके पर आधारित खेती में निवेश बढ़ेगा."

मैरिको के प्रमुख हर्ष मारीवाला ने कहा, "यह एक छोटा सा कदम है. बीज बो दिए गए हैं. फल इस पर निर्भर करेगा कि नीतियों का क्रियान्वयन किस तरह हो रहा है." सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, "इस कदम से कृषि उत्पादों को कम कीमत पर उपलब्ध कराने से उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचेगा. इससे असंगठित खुदरा क्षेत्र में भी नई तकनीकें आएंगी."

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एसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत ने कहा, "भारत के खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश से क्षमता में वृद्दि होने के साथ प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी. साथ ही पूरे देश में लाखों नौकरियों के अवसर उत्पन्न होंगे और थोक एवं खुदरा मूल्यों में कमी आएगी."

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