भारी वित्तीय संकट का सामना कर रही किंगफिशर एयरलाइंस का उड़ान लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है. डीजीसीए ने कहा है कि किंगफिशर का जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने के बाद यह कदम उठाया गया.
किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा अपनी वित्तीय और परिचालन स्थिति में सुधार संबंधी व्यावहारिक योजना पेश नहीं कर पाने और कर्मचारियों के साथ बकाया राशि के भुगतान के संबंध में गतिरोध खत्म करने में नाकाम रहने के कारण डीजीसीए यह निर्णय लिया.
अगले आदेश तक परमिट का निलंबन
नागर विमानन मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने किंगफिशर एयरलाइंस का अनुसूचित परिचालक परमिट अगले आदेश तक निलंबित किया है. अधिकारियों ने कहा कि उड़ान लाइसेंस निलंबित करने का मतलब होगा पूरे किंगफिशर नेटवर्क में बुकिंग पर तुरंत विराम लगाना जिसमें ट्रेवेल एजेंट के जरिए होने वाली बुकिंग भी शामिल है.
कर्ज से बोझ से दबी किंगफिशर
प्रमुख शराब कारोबारी विजय माल्या के स्वामित्व वाली विमानन कंपनी 8,000 करोड़ रुपए के नुकसान और 7,524 करोड़ रुपए के ऋण के बोझ तले दबी है. विमानन कंपनी के पास फिलहाल काम करने की स्थिति में सिर्फ 10 विमान हैं, जबकि साल भर पहले इसके पास 66 विमानों का बेड़ा था.
सुरक्षा का सवाल सबसे ऊपर
यह पूछे जाने पर कि लाइसेंस निलंबित क्यों किया गया अधिकारियों ने कहा कि सरकार ऐसी स्थिति नहीं आने देना चाहती थी कि किंगफिशर अपना परिचालन शुरू करे और फिर रुक-रुककर उड़ान भरती रहे जैसा कि पिछले साल के आखिर से हो रहा है. किंगफिशर में 1 अक्टूबर से तालाबंदी की स्थिति और इसके कारण उसका पूरा परिचालन बंद है. कंपनी ने कल डीजीसीए के कारण-बताओ नोटिस पर जवाब देने के लिए और समय मांगा था लेकिन उसने यह नहीं बताया कि ऐसा करने में वह कितना वक्त लेगी.
डीजीसीए ने जारी किया था नोटिस
डीजीसीए ने कंपनी को पांच अक्तूबर को नोटिस जारी किया था और पूछा था कि वह अपनी उड़ान समय-सारणी का पालन नहीं कर रही और पिछले 10 महीने से बार-बार उड़ानें रद्द कर रही है जिससे यात्रा करने वाले लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उसका उड़ान लाइसेंस निलंबित अथवा रद्द क्यों नहीं कर दिया जाए. विमानन नियामक ने जवाब देने के लिए कंपनी को 15 दिन का वक्त दिया था और यह समयसीमा शनिवार को खत्म हो रही है.
ठोस योजना का अभाव
किंगफिशर एयरलाइंस को वर्ष 2008.09 में 1,609 करोड़ रुपये, वर्ष 2009.10 में 1,647 करोड़ रुपये, वर्ष 2010.11 में 1,027 करोड़ रुपये और वर्ष 2011.12 में 732 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. नागर विमानन मंत्रालय अधिकारी के अनुसार उड़ान परमिट एयरक्राफ्ट अधिनियम के नागर विमानन नियम और प्रावधान के तहत निलंबित किया गया है. लाइसेंस तब तक निलंबित रहेगा जब तक कि इसके लिये विमानन कंपनी ‘एक ठोस और व्यावहारिक योजना’ नहीं सौंप देती है जिससे कि डीजीसीए पूरी तरह संतुष्ट हो.
डीजीसीए को देना होगा भरोसा
कंपनी को फिर से उड़ान संचालन शुरू करने के लिये एयरलाइन को डीजीसी के पास जाना होगा और कहना होगा कि वह उड़ान कार्य शुरू करने के लिये पूरी तरह तैयार है. नियामक इस पर गौर करेगा और संतुष्ट होने पर आगे कदम उठायेगा. किंगफिशर को 26 अगस्त 2003 को एयरलाइन का लाइसेंस जारी किया गया था. यह लाइसेंस वास्तव में एयर डेक्कन को दिया गया था जिसे बाद में किंगफिशर ने खरीद लिया. लाइसेंस इस साल 31 दिसंबर तक वैध था.