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DMIC राज्य-विकास के लिए बेहद अहमः अखिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कारीडोर (डीएमआईसी) परियोजना को राज्य औद्योगिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इस परियोजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

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अकिलेश यादव
अकिलेश यादव

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कारीडोर (डीएमआईसी) परियोजना को राज्य औद्योगिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इस परियोजना को पूरा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा हरसंभव मदद का आश्वासन दिया.

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मुख्यमंत्री यादव ने डीएमआईसी परियोजना पर प्रस्तुतीकरण के मौके पर कहा कि जवाहर लाल नेहरु पोर्ट मुंबई से शुरु होकर दादरी ग्रेटर नोएडा तक 1483 किमी लम्बी इस परियोजना के तहत सात निवेश तथा 13 औद्योगिक क्षेत्र चिन्हित किये गये हैं, जिसमें एक निवेश तथा एक औद्योगिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश में पड़ता है.

उन्होंने कहा कि निवेश का पहला स्थान ग्रेटर नोएडा तथा दूसरा मेरठ-मुजफ्फरनगर में पड़ता है. निवेश क्षेत्र के दोनों ओर 150-200 किमी तक के क्षेत्र को मालगाड़ियों के लिए अलग मार्ग (डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर) के रुप में चिन्हित किया गया है.

यादव ने कहा कि प्रस्तावित पूर्वी डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर के खुर्जा में मिलने के कारण इस परियोजना का महत्व और भी बढ़ जाता है. इससे इस पूरे क्षेत्र का तेजी से विकास होगा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कृषि एवं अन्य उत्पाद आसानी से जवाहर लाल नेहरु पोर्ट मुंबई तक पहुंच सकेंगे.

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अखिलेश ने बताया कि डीएमआईसी परियोजना के तहत राज्य के दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र में पड़ने वाले कारीडोर के विकास के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा प्रारम्भिक चरण में जिन परियोजनाओं को चिन्हित किया गया है, इनमें बोडाकी रेलवे स्टेशन का विकास, नोएडा ग्रेटर नोएडा में मेट्रो रेल का विकास दादरी-तुगलकाबाद-बल्लभगढ रेलवे स्टेशन का विकास, नोएडा-ग्रेटर नोएडा-फरीदाबाद एक्सप्रेसवे आटो मार्ट का विकास, उर्जा संयंत्र की स्थापना, लाजिस्टिक पार्क टाउनशिप का विकास आदि शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि डीएमआईसी परियोजना का प्रदेश को पूरा लाभ मिल सके, इसके लिए हरसंभव कदम उठाये जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरुआत में यूपीएसआईडीसी तथा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पास उपलब्ध भूमि पर प्रस्तावित हाईटेक इन्ट्रीग्रेटेड औद्योगिक टाउनशिप का विकास शुरु किया जाए. इसके बाद आवश्यकतानुसार किसानों की सहमति से उनको हितधारक बनाते हुए भूमि प्राप्त करने का प्रयास किया जाए.

 

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