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फुटपाथ चोरी कर डीटीसी ने बनाया बस टर्मिनल

आनंद पर्वत के देशबंधू गु्प्ता रोड पर डीटीसी बसें रोजाना घरों और दुकानों के सामने खड़ी रहती हैं. वो भी कुछ घंटों के लिए नहीं बल्कि सुबह से देर रात तक, एक बस जाती है तो दूसरी खड़ी हो जाती है.

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आनंद पर्वत के देशबंधू गु्प्ता रोड पर डीटीसी बसें रोजाना घरों और दुकानों के सामने खड़ी रहती हैं. वो भी कुछ घंटों के लिए नहीं बल्कि सुबह से देर रात तक, एक बस जाती है तो दूसरी खड़ी हो जाती है. ज़रा सोचिए क्या हाल होता होगा यहां रहने वालों का. कैसे निकलती होंगी उनकी अपनी गाड़िया. यहां के लोगों की परेशानी का कोई ठिकाना नहीं है और दुकानदारों का बिजनेस ठप हो गया है.

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यहां कोई बस स्टॉप नहीं है, ये खुद डीटीसी ने माना जब अर्पित भार्गव ने आरटीआई के जरिए सवाल उठाय़े. 2009 में डीटीसी ने बस स्टैंड वाली रूट प्लेट को उनके घर के बाहर वाले खम्भे से तो हटा लिया, लेकिन उसी के आगे वाले खम्भे पर फिर लगा दिया. यानी डीटीसी की ये अवैध पार्किंग बंद नहीं हुई. सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि जब लोग उनसे बसें हटाने को कहते हैं ड्राइवर बदतमीजी करते हैं.

अर्पित और उसके परिवार ने हार नहीं मानी, मामले को अदालत ले गए ताकि रोज रोज की किचकिच से छुटकारा मिले. अदालत ने अर्पित के हक में फैसला दिया है और कहा है कि वो एक बार फिर लिखित तौर पर अपनी समस्या डीटीसी के सामने रखें और डीटीसी को दो हफ्तों के अंदर उन्हें तय करना है कि अगर यहां बस स्टॉप नहीं है तो यहां पर वो कैसे बस टर्मिनेट करते है.

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ये लड़ाई सिर्फ अर्पित की नहीं है. डीटीसी की इस अवैध पार्किंग के चलते दुकानदारों को भी भारी घाटा उठाना पड़ रहा है. बसें दुकानों को ढ़क लेती हैं, ऐसे में ग्राहकों का यहां आना बंद हो जाता है. अब लोग चाहते हैं कि आसपास या तो कोई बस डीपो बनाया जाए, अगर ये मुमकिन नहीं तो इन बसों को किसी और डीपो से चलाया जाए.

अदालत के दखल के बाद सबके मन में एक ही सवाल है, क्या अब ये बस टर्मिनल देशबंधु गुप्ता रोड से हटेगा. क्या बस स्टॉप कानूनी तौर पर बना है, क्या एक साथ इतनी बसे यहां खड़ी की जा सकती हैं.

यह तथाकथित बस टर्मिनल फुटपाथ की चोरी करके बनाया गया है. चोरी इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पहले यहां पर फुटपाथ को खत्म करके बस स्टॉप बनाया गया उसके बाद टिकट घर. टिकट घर के पिछे ड्राइवर कन्डक्टर के आराम करने की जगह बनी हुई है. जहां पूरी दिल्ली के बस स्टॉप बदल दिए गए वहीं पर यहां आज भी ऐसा बस स्टॉप बना हुआ है जो कई जगह से टूट गया है और कभी भी गिर सकता है.

न तो यहां बसें खड़ी होने की जगह है और न ही सवारियों के बैठने की, फिर भी डीटीसी इसे बस टर्मिनल कहता है. यहां पीक ऑवर में घंटों का ट्रैफिक जाम लगा रहता है. यही जाम इलाके के लोगों की परेशानी का सबब है. जब इस बारे में डीटीसी से बात की गई तो वो इस पूरे मुद्दे पर सर्वे कराने की बात कर रहे हैं.

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मामला अदालत में है और पिछली सुनवाई के दौरान डीटीसी ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया. अदालत ने अब मामले का हल निकालने के लिए दो हफ्ते का समय दिया है. कोर्ट ने कहा है कि डीटीसी ऐसे उपाय करे कि बस टर्मिनल से याचिकाकर्ता को किसी तरह की दिक्कत न हो. इस पर डीटीसी ने गेंद याचिकाकर्ता के पाले में डाल दी और कहा कि याचिकाकर्ता खुद डीटीसी के सामने रिप्रजेंटेशन दें और बताएं कि बस टर्मिनेट करने के लिए कौन- कौन से संभावित पॉइंट हो सकते हैं.

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