एशिया की सबसे बड़ी दूध उत्पादक गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) ने बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोलने का विरोध किया है. अमूल ब्रांड के तहत अपने डेयरी उत्पाद बेचने वाली जीसीएमएमएफ का मानना है कि इस कदम से डेयरी किसान बुरी तरह प्रभावित होंगे.
जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने अहमदाबाद में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, ‘यदि भारत में बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति दी जाती है, तो भारतीय डेयरी किसानों का भी पश्चिमी देशों के किसानों जैसा ही हाल होगा.’
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका में डेयरी किसानों की हिस्सेदारी 1996 में 52 फीसद थी, जो 2009 में घटकर 38 प्रतिशत रह गई. इसी तरह ब्रिटेन के डेयरी किसानों की हिस्सेदारी 1996 के 56 फीसद से घटकर 2009 में 38 प्रतिशत पर आ गई है.
सोढ़ी ने कहा कि संगठित रिटेल क्षेत्र एकाधिकार की स्थिति पैदा कर देता है. इसका न केवल किसानों बल्कि प्रसंस्करणकर्ताओं को भारी मूल्य चुकाना पड़ता है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी सहकारिताएं उपभोक्ता के रूप में भारतीय किसानों के लिए 70 से 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी सुनिश्चित करती हैं. इसकी वजह यह है कि भारतीय सहकारिता किसान उत्पादन, प्रोसेसिंग और खासकर विपणन का शतप्रतिशत नियंत्रण करती हैं.’
सोढ़ी ने बताया कि पश्चिमी देशों में किसान उत्पादन और खरीद में भागीदार होते हैं, लेकिन विपणन के लिए उन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि वैश्विक रिटेल श्रृंखलाओं से जुड़ाव से भारतीय उपभोक्ता और किसान भविष्य के वैश्विक संकट से प्रभावित होंगे.
जीसीएमएमएफ के अनुसार, डेयरी सहकारिताएं ग्रामीण भारत में 1.4 लाख गांवों में 1.5 करोड़ परिवारों के लिए रोजगार का सृजन करती हैं. ‘सहकारिताओं ने ग्रामीण उत्पादकों को शहरी बाजारों से जोड़कर देश के डेयरी किसानों के सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित किया है.’
सोढ़ी ने बताया कि अमूल की सालाना वृद्धि दर 20 से 25 प्रतिशत है. उन्होंने कहा, ‘इस साल हमारा कारोबार 12,000 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष 9,700 करोड़ रुपये रहा था. पिछले छह माह के दौरान दूध की आपूर्ति कुछ कम थी, लेकिन अब देशभर में दूध उत्पादन 10 से 12 प्रतिशत बढ़ चुका है. इसकी वजह यह है कि किसानों को अच्छा मूल्य दिया जा रहा है.’
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में किसानों को 30 प्रतिशत की मूल्यवृद्धि मिली है. ‘पिछले साल हमने खरीद मूल्य 15 प्रतिशत बढ़ाया था, जबकि इस साल इसमें 19 फीसद की वृद्धि की गई है.’