देश की मौजूदा राजनीतिक उथल-पुथल के बीच भाकपा ने तीसरे मोर्चे के गठन की जरूरत और इसकी संभावनाओं को रेखांकित किया, लेकिन स्पष्ट किया कि वामपंथी पार्टियां इस सियासी धड़े के लिये तत्काल तैयार नहीं हैं.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राष्ट्रीय महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा, ‘देश में तीसरे मोर्चे के गठन की जरूरत और संभावनाएं हैं. लेकिन वामपंथी पार्टियां तीसरे मोर्चे के लिये तत्काल तैयार नहीं हैं.’
उन्होंने कहा कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश समेत अलग-अलग आर्थिक मुद्दों पर भाजपा की अगुवाई वाली पूर्व राजग सरकार और कांग्रेसनीत मौजूदा संप्रग सरकार की नीतियां लगभग एक-सी रही हैं. लिहाजा तीसरे मोर्चे के गठन से पहले इस सियासी धड़े की आर्थिक नीतियां स्पष्ट किये जाने की जरूरत है.
भाकपा महासचिव ने कहा, ‘अगर संप्रग सरकार ने जल्द अपनी आर्थिक नीतियां नहीं बदलीं, तो कहना मुश्किल है कि वह कितने दिन तक टिक पायेगी.’
रेड्डी ने एक सवाल पर कहा, ‘समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख मुलायम सिंह यादव अपने एक बयान में पहले ही कह चुके हैं कि तीसरा मोर्चा वर्ष 2014 के आम चुनावों के बाद वजूद में आयेगा. हालांकि, हम आम आदमी की समस्याओं पर सपा और दूसरे दलों के साथ लगातार संपर्क में हैं.’
उन्होंने कहा कि जापान के फुकुशिमा स्थित नाभिकीय विद्युत इकाई में वर्ष 2011 में हुए हादसे के मद्देनजर सरकार को तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के मुद्दे पर स्थानीय लोगों से चर्चा करके स्थिति की विस्तृत समीक्षा करनी चाहिये. इसके साथ ही, इस संयंत्र का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं पर लादे गये मामले वापस लेने चाहिये.
भाकपा महासचिव ने कहा, ‘सरकार लगातार यह आरोप लगा रही है कि कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के विरोध के पीछे विदेशी ताकतों का हाथ है. उसे इन तथाकथित ताकतों के नामों का फौरन खुलासा करना चाहिये.