पाकिस्तान में गिरफ्तार अमेरिकी नागरिक रेमंड डेविस संभवत: उस गुप्त सीआईए टीम की अगुवाई कर रहा था जिसे वहां के आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा के बारे में खुफिया सूचना जुटाने का जिम्मा सौंपा गया था.
इस आतंकवादी संगठन के बारे में अमेरिकियों का मानना है कि वह अमेरिका एवं यूरोप में जिहाद छेड़ने के लिए पाकिस्तानी सेना के साये से बाहर निकल रहा है.
न्यूयार्क टाईम्स की खबर के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) ने भारत विरोधी अपना हित साधने के लिए वर्षों तक लश्कर को पाला पोसा और डेविस ने लश्कर की निगरानी के दौरान संभवत: इसी बिंदु के करीब पहुंचने की कोशिश की जिससे आईएसआई नाराज हो गयी. इस खबर के मुताबिक चूंकि आईएसआई ने लश्कर का समर्थन किया था इसलिए वह इस बात से सहज नहीं थी कि डेविस इस बिंदु को कुरेदने का प्रयास करे. {mospagebreak}
डेविस गोलीबारी प्रकारण के बाद तोहमत लगाने में अचानक आयी तेजी पाकिस्तान के इस संदेह की पुष्टि करती है कि अमेरिका ने पाकिस्तान में जासूसों और अनुबंधकर्ताओं की फौज तैनात कर रखी है. अखबार ने कहा है, ‘अमेरिकी अधिकारी इस बात से आश्वस्त हैं कि लश्कर भारत के साथ पाकिस्तान के चल रहे सीमा विवाद (में केवल मातहत) तक ही अपने को सीमित रखने में संतुष्ट नहीं हैं बल्कि उसके लक्ष्य का काफी विस्तार हो गया है.
लश्कर अमेरिका और यूरोप में जिहाद छेड़ने तथा अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ हमले करने के प्रति कटिबद्ध है.’ अखबार के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की लश्कर के प्रति संवेदनशीलता इस बात से स्पष्ट हो सकती है कि जब ज्वायंट चीव्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष एडमिरल माइक मुलेन ने पिछले साल जुलाई में अपनी पाक यात्रा के दौरान लश्कर को वैश्विक खतरा बताया था, तब निस्संदेह पाकिस्तानी मेजबान भड़क गए थे. {mospagebreak}
लश्कर एक ऐसा संगठन है जिसे पाकिस्तानी सेना ने वर्षों तक अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के अनिवार्य अवयव के रूप में देखा और अमेरिकी आतंकवाद निरोधक अधिकारी ने एक बार इसे संभवत: क्षेत्रीय समस्या कहकर खारिज कर दिया था लेकिन वह अब ऐसा खतरा बन गया है जिसे लेकर अमेरिका को महसूस होने लगा है कि इसे अब ज्यादा समय तक नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.