विकीलीक्स के उजागर किए गए तथ्यों को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर लोकसभा में चर्चा के दौरान भारी हंगामा हुआ. इस मसले पर मनमोहन सिंह सदन में 4 बजे जवाब देने वाले हैं.
लोकसभा में बहस के दौरान नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि यूपीए ने 2008 में विश्वास प्रस्ताव के दौरान कुछ सांसदों के वोट खरीदे. इस जवाबदेही से प्रधानमंत्री अपना पल्ला झाड़ नहीं सकते हैं. इस काम के लिए प्रधानमंत्री बराबर के दोषी हैं.
सुषमा स्वराज ने कहा कि मनमोहन सिंह का यह तर्क किसे के गले नहीं उतर सकता है कि चूंकि यूपीए ने चुनाव में दोबारा जीत दर्ज की, इसलिए सांसदों के वोट खरीदने की बात लगत है. उन्होंने सरकार से साफ शब्दों में कहा कि चुनाव में जीत से दाग नहीं धुलते हैं.
सुषमा स्वराज ने कहा कि 'कैश फॉर वोट' मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. उन्होंने मांग की कि खुलासे में आए नामों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए.
बहस के दौरान सीपीआई नेता गुरदास दासगुप्ता ने मनमोहन सिंह की खिंचाई करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मामले में पूरे सदन को गुमराह किया. बहरहाल, 'कैश फॉर वोट' का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ चुका है और देश की सियासत उबाल खा रही है.