अमेरिका और यूरोपीय बलों ने त्रिपोली और भूमध्यसागरीय तट स्थित लीबियाई सैन्य ठिकानों पर 100 से अधिक टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं. वहीं, उनके युद्धक विमानों ने मुअम्मर गद्दाफी के बलों पर बम बरसाए.
उधर, गद्दाफी ने ‘पश्चिमी आक्रमण’ और ‘इस्लाम के खिलाफ युद्ध’ का जवाब देने का संकल्प जताया. पेंटागन में ब्रीफिंग के दौरान अमेरिकी नौसेना के वाइस एडमिरल विलियम गोर्टनी ने कहा कि ऑपरेशन ओडिसी डॉन (ओओडी) के तहत अमेरिकी और ब्रिटिश जहाजों और पनडुब्बियों से कम से कम 112 टॉमहॉक मिसाइलें दागीं. इसके तहत त्रिपोली और पश्चिमी शहर मिसुराता में 20 लीबियाई हवाई और मिसाइल रक्षा ठिकानों को निशाना बनाया गया.
भारत और रूस ने हमले का विरोध किया है. भारत ने कहा कि जो हवाई हमले हो रहे हैं उसपर वह खेद प्रकट करता है और लीबियाई जनता के लिए पहले से ही मुश्किल परिस्थितियों को और बढ़ाने की बजाय उसे कम करने की दिशा में कदम चाहता है. मॉस्को ने अमेरिका नीत बलों द्वारा किए गए अंधाधुंध बल प्रयोग को खत्म करने की मांग की है और लीबिया के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से जल्दबाजी में प्रस्ताव पारित किया गया. {mospagebreak}
अल जजीरा ने बताया कि फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों ने ओओडी के तहत पहला निशाना दागा. इराक पर साल 2003 में किए गए हमले के बाद से यह अरब जगत में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सैन्य हस्तक्षेप है. इसके तहत पूर्वी लीबिया में टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया.
लीबियाई सरकारी टेलीविजन ने बताया कि इस हमले में 48 आम नागरिक मारे गए हैं और 150 लोग घायल हुए हैं. इसमें कहा गया कि हमले में ज्यादातर लोग हताहत हुए हैं लेकिन कोई ब्योरा नहीं दिया. मरने वालों की संख्या के बारे में स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है.
बीबीसी ने ब्रिटेन के वित्त मंत्री जॉर्ज ओसबोर्न के हवाले से बताया कि इस तरह के दावों को सावधानी से देखा जाना चाहिए क्योंकि सेना इस बात का प्रयास कर रही है आम नागरिक हताहत नहीं हों. लीबियाई राजधानी के कई हिस्सों में गोलीबारी और विस्फोट की आवाज सुनाई पड़ी. अल जजीरा ने एक अनाम अमेरिकी सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया कि कज्जाफी की हवाई रक्षा प्रणाली को गंभीर रूप से अशक्त कर दिया गया है. यह कहना जल्दबाजी होगी कि हमले के जवाब में उनकी और उनके जमीनी बलों की क्या प्रतिक्रिया होगी. {mospagebreak}
हमलों के बावजूद गद्दाफी ने हमले के लिए पश्चिमी देशों को आड़े हाथ लिया और कहा, ‘हम अपनी भूमि नहीं छोड़ेंगे और इसे मुक्त कराएंगे.’ लंबी लड़ाई की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा, ‘हम अपनी धरती के एक-एक इंच के लिए लड़ेंगे.’ करीब 15 मिनट के अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘हम शहीद की तरह मरेंगे.’
विद्रोहियों के खिलाफ गद्दाफी की हवाई शक्तियों पर रोक लगाने के लिए लीबिया पर ‘नो फ्लाई जोन’ लगाने की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मंजूरी देने के बाद शनिवार से हवाई हमला शुरू होने के बाद से गद्दाफी का यह दूसरा संबोधन है. बेनगाजी, मिसुराता, तोबरूक और अजदाबिया समेत विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में गद्दाफी के बलों द्वारा बम बरसाए जाने को लेकर तीखी अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया के बाद सुरक्षा परिषद ने यह मंजूरी दी थी.
लीबियाई जनता का अपने पीछे समर्थन होने और पूरी तरह युद्ध के लिए तैयार होने के बीच गद्दाफी ने देश की रक्षा के लिए आम नागरिकों को हथियारों से लैस करने के लिए रक्षा सामग्रियों की आपूर्ति खोल देने की धमकी दी. 68 वर्षीय गद्दाफी ने अपने ऑडियो संदेश में कहा, ‘लीबिया की स्वतंत्रता, एकता और सम्मान की रक्षा के लिए अब जरूरी है कि गोदामों को खोल दिया जाए और लोगों को सभी तरह के हथियारों से लैस किया जाए.’ अल जजीरा ने कहा कि गद्दाफी ने इसकी तुलना अमेरिका के नेतृत्व में वियतनाम समेत अन्य युद्धों से की. गद्दाफी ने कहा कि फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटिश बलों द्वारा किया गया हमला इस्लाम के खिलाफ युद्ध है.