भ्रष्टाचार का खुलासा करने के लिए अब तक पत्रकार ही स्टिंग ऑपरेशन करते थे, लेकिन यह तकनीक अब दिल्ली पुलिस के भी काम आ रही है.
दिल्ली पुलिस अपने ही विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों की जांच के लिए स्टिंग ऑपरेशन कर रही है. दिल्ली पुलिस की निगरानी शाखा का दावा है कि उसने इस वर्ष विभिन्न तकनीकों से भ्रष्टाचार के चार बड़े मामले पकड़े, जिनमें पुलिस के कई अधिकारी शामिल हैं.
इस तकनीक की शुरूआत करने वाले पुलिस के संयुक्त आयुक्त (निगरानी) एन दिलीप कुमार ने बताया ‘‘इस योजना की सफलता की दर संतोषजनक है. इससे हमें मामला दर्ज करने के पहले सबूत एकत्रित करने में मदद मिलती है, जिससे कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का समय बचता है.’’ कुमार ने इसके पहले भ्रष्टाचार निरोधक शाखा में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रहते हुए भी स्टिंग ऑपरेशन किए थे.
कुमार का मानना है कि इस तकनीक से संदेह के घेरे में आने वाले भ्रष्ट अधिकारियों की भ्रष्टाचार में भूमिका साबित होती है. इसके अलावा इससे अपने पद का दुरूपयोग करते हुए लोगों से उगाही करने जैसी घटनाओं को कम करने और भ्रष्टाचार दूर करने के प्रयासों में मदद मिलेगी.
कुमार ने कहा ‘‘हर स्तर पर भ्रष्टाचार पकड़ने के लिए मैं हमेशा वरिष्ठ अधिकारी को सबसे पहले पकड़ने का फैसला करता हूं. मेरे आकलन के मुताबिक भ्रष्ट अधिकारी अपने मातहतों और अपने विभाग के अधिकारियों को भी गलत काम करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं. इसलिए बड़ी मछली पर हाथ डालकर हम कोशिश करते हैं कि व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए.’’
अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कुमार ने बताया ‘‘हम मामला दर्ज होने तक स्टिंग ऑपरेशन को गोपनीय बना कर रखते हैं. जहां जरूरत होती है, वहां इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद ली जाती है. पूरी प्रक्रिया कानून के मुताबिक ही होती है.’’
अधिकारी ने बताया ‘‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के पास शिकायतकर्ताओं, खुफिया ऑडियो, वीडियो उपकरणों और सबसे ज्यादा, मोबाइल फोन की मदद से मिले सबूतों के आधार पर 50 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं. हर मामले पर अलग रणनीति से काम किया गया है.’’
कुमार ने हाल ही में बवाना और नरेला पुलिस थानों में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का खुलासा हुआ है, जिसमें पुलिस के कई अधिकारियों की भूमिका पता चली है, जिसकी जांच की जा रही है.