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दिल्‍ली पुलिस ने नहीं दी अन्‍ना के अनशन को मंजूरी

दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे और उनके समर्थकों से कहा है कि वह सरकार के लोकपाल विधेयक के विरोध में अपने प्रस्तावित अनिश्चितकालीन अनशन के लिए जंतर-मंतर के पास नहीं बैठ सकते.

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अन्ना हजारे
अन्ना हजारे

दिल्ली पुलिस ने अन्ना हजारे और उनके समर्थकों से कहा है कि वह सरकार के लोकपाल विधेयक के विरोध में अपने प्रस्तावित अनिश्चितकालीन अनशन के लिए जंतर-मंतर के पास नहीं बैठ सकते.

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पुलिस ने उनसे अनशन के लिए राजधानी के बाहरी इलाकों में स्थित किसी जगह का चुनाव करने अथवा संसद के पास अपने प्रदर्शन के लिए निश्चित समयसीमा की जानकारी देने को कहा है.

हजारे ने घोषणा की थी कि वह सरकारी लोकपाल विधेयक को वापस लेने की मांग के लिए 16 अगस्त से जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठेंगे. इस सिलसिले में अन्ना समर्थक दल ने गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं और अधिकारियों ने उन्हें इस फैसले की जानकारी दी.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने इस फैसले के लिए वर्ष 2009 के उच्चतम न्यायालय के एक निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि एक अगस्त से संसद के शुरू होने वाले सत्र को देखते हुए वह जंतर-मंतर समेत दिल्ली में कहीं भी अनिश्चितकालीन प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे सकते.

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पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि किसी भी एक समूह को जंतर-मंतर के पूरे इलाके को घेरने की इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि संसद का सत्र चलते उस वक्त कई समूह प्रदर्शन करते हैं. सूत्रों के अनुसार हजारे पक्ष गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस लगातार संपर्क में बने हुए हैं.

पुलिस ने कहा है कि उसने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए अन्ना को अनुमति देने पर अभी अंतिम फैसला नहीं किया है और इस संबंध में अन्ना से जवाब का इंतजार कर रही है. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता रंजन भगत ने कहा, ‘हमने न तो अनुमति दी है और न ही इसे खारिज किया है. हम 10 दिनों पहले अन्ना को भेजे गए पत्र के जवाब का इंतजार कर रहे हैं.’

पुलिस ने संसद के मानसून सत्र को देखते हुए सीआरपीसी की दफा 144 लागू कर दी है जिसके तहत 30 जुलाई से नौ सितंबर तक संसद और उसके आसपास पांच और उससे अधिक लोगों के जमा होने पर मनाही है. हालांकि यह स्पष्ट किया गया है कि दफा 144 जंतर-मंतर पर लागू नहीं होती.

अन्ना को लिखे पत्र में पुलिस ने उन्हें बताया है कि जंतर-मंतर पर सिर्फ एक दिन के प्रदर्शन की इजाजत दी जा सकती है, जिसमें दो हजार से अधिक लोग शामिल नहीं होने चाहिए. इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अन्ना ने कहा कि यह लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है.

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उन्होंने कहा, ‘संविधान ने नागरिकों को अधिकार दिए हैं, कोई भी व्यक्ति अन्याय का विरोध कर सकता है.’ अन्ना दल के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरिवाल ने कहा कि वह ‘लोकतंत्र की हत्या’ का कठोरतम शब्दों में विरोध करेंगे.

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