माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में कहा है कि वकील शांति भूषण की राजनीतिक नेताओं मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह से की गई बातचीत संबंधी विवादित सीडी फर्जी नहीं, बल्कि वास्तविक है. यह नकली नहीं, जैसा कि आरोप लगाया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि जांचकर्ता शांति भूषण के सीडी में हेरफेर करने संबंधी आरोप की जांच करने के बाद जल्द क्लोजर रिपोर्ट दायर करेंगे. गौरतलब है कि अप्रैल में भारतीय दंड संहिता की धारा 469 के तहत (प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने के लिए फर्जी काम करना) एक मामला दर्ज किया गया था.
सूत्रों ने बताया कि अमर सिंह ने पुलिस को बताया कि टेप की गई आवाज उनकी है और इसमें ‘किसी प्रकार की छेड़छाड़’ नहीं की गई है.
इस सीडी को अप्रैल में अन्ना हजारे द्वारा सशक्त लोकपाल लाने के लिए अनशन करने के बाद मीडिया में जारी किया गया था. अनशन के बाद भूषण को लोकपाल मसौदा तैयार करने के लिए बनाई गई मसौदा समिति का सहअध्यक्ष बनाया गया था.
भूषण ने आरोप लगाया था कि सिविल सोसायटी को बदनाम करने के लिए ‘कहीं से काट कर कहीं जोड़कर’इस सीडी को तैयार किया गया है.
सीडी में भूषण कथित तौर पर मुलायम सिंह और अमर सिंह से कहते दिखाए गए हैं कि उनका बेटा और वकील प्रशांत भूषण ‘न्यायाधीश को पाले में ला’ सकता है. इस बारे में प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि मालूम होता है कि कुछ पुलिस अधिकारी, कुछ फोरेंसिक एजेंसी के अधिकारी, कुछ सरकार के लोग और दूसरे लोग अपराधिक षडयंत्र कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) के बारे में वे क्या बोलेंगे?’’ दिल्ली पुलिस ने दिल्ली स्थित सीएफएसएल में फोरेंसिक जांच करने के बाद भूषण के आरोप को गलत बताया था. इसके बाद कुछ लोगों ने उनसे लोकपाल मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति से त्यागपत्र देने की मांग की थी.
हालांकि पुलिस ने सीएफएसएल, चंडीगढ़ में की गई फोरेंसिक जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है. भूषण ने हैदराबाद स्थित एक निजी प्रयोगशाला ट्रूथ लैब्स में फोरेंसिक जांच के बाद दावा किया था कि सीडी से ‘छेड़छाड़ ’ की गई है.