राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों में नर्सरी में अपने बच्चों का दाखिला कराने की कोशिश करने वाले माता-पिता दाखिले की तमाम प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पार करने के बाद अंत में सबसे बड़ी बाधा का सामना कर रहे हैं. यह बाधा है स्कूलों की फीस का जो देश के सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी में पढ़ने वाले छात्रों से सालाना ली जाने वाली 50 हजार रुपये की राशि से भी अधिक है.
राष्ट्रीय राजधानी के कुछ अच्छे स्कूलों में सीमित सीटों के लिए हजारों अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए जीतोड़ प्रयास करते हैं. दाखिले के मौसम में निजी संस्थानों की तूती बोलती है.
आईआईटी में छात्रों से फिलहाल 50 हजार रुपये सालाना फीस ली जाती है. इसके अलावा उन्हें आवास, अल्युमनाई और दाखिला फीस के तौर पर 20 हजार रुपये सालाना देना होता है. लेकिन जब बात राष्ट्रीय राजधानी और एनसीआर के प्रतिष्ठित नर्सरी स्कूलों की आती है तो इस राशि में उल्लेखनीय वृद्धि हो जाती है.
नर्सरी में पढ़ने वाले बच्चों से सालाना फीस 75 हजार रुपये या उससे अधिक ली जाती है. इसे कठोर साक्षात्कार और मूल्यांकन की प्रक्रिया से गुजरने के बावजूद माता-पिता को वहन करना होता है.
उदाहरण के लिए गुड़गांव में एक स्कूल दाखिले की फीस के तौर पर 75 हजार रुपये लेता है जबकि वर्ष 2009-10 के लिए समग्र वाषिर्क फीस एक लाख 70 हजार रुपये बैठेगी. इसके अलावा 38 से 44 हजार वाषिर्क परिवहन शुल्क और छह से साढ़े नौ हजार रुपये सालाना आईटी फीस के तौर पर वसूला जाता है.