सरकार ने बुधवार को भाजपा की सभी कोयला खान आवंटन को ‘आंख बंद करके’ रद्द करने की मांग को ‘असंभव’ और ‘अवैध’ बताकर खारिज कर दिया.
केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने एआईसीसी ब्रीफिंग के दौरान कांग्रेस की तरफ से मोर्चा संभालते हुए विपक्ष के इन दावों की हवा निकालने का प्रयास किया कि इस मामले पर कार्रवाई उसके दबाव की वजह से शुरू की गई है.
रमेश ने कहा कि कोयला आवंटन के लाभार्थियों की पहचान करने का काम जनवरी में शुरू कर दिया गया था और भाजपा के विरोध अथवा कैग रिपोर्ट के कारण ऐसा नहीं किया गया है.
रमेश ने कहा, ‘राज्य सरकारों की जानकारी और सहमति के बगैर कुछ नहीं किया गया है. मुझे नहीं लगता कि ऐसा एक भी मामला है जब जांच समिति ने राज्य सरकार की सहमति और जानकारी के बिना खान का आवंटन किया हो.’
उन्होंने कहा कि आईएमजी रिपोर्ट आने के बाद कोयला कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट कुछ ही दिनों में आ जाएगी और इसे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा.
रमेश ने कहा, ‘आईएमजी की रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण होने वाली है क्योंकि आईएमजी पहली बार यह बताएगी कि किसी एक कंपनी ने चार-पांच साल के बाद भी कोयले का उत्पादन शुरू क्यों नहीं किया. इसकी रिपोर्ट के साथ ही इसका खुलासा होगा.’
यह बताए जाने पर कि आईएमजी की स्थापना अप्रैल-मई में ही की गई है, रमेश ने कहा कि आवंटन के लाभार्थियों की पहचान करने की कवायद जनवरी में ही शुरू कर दी गई थी, जिसे बाद में आईएमजी की स्थापना के साथ औपचारिक रूप दिया गया.
भाजपा के लिए आठ असुविधाजनक सच्चाइयों से जुड़े सवाल पेश करते हुए रमेश ने कहा कि भाजपा के कई मंत्रियों ने प्रतिस्पर्धात्मक बोलियों के जरिए निजी कंपनियों को कोयला खान के आवंटन की प्रणाली को बदलने पर एतराज किया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड में भाजपा मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और ओडिशा में नवीन पटनायक ने केन्द्र को पत्र लिखकर उन कंपनियों को कोयला खान के आवंटन की सिफारिश की थी, जिन्हें अब ‘दागी कंपनियां’ बताया जा रहा है.