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विकास के डग भरने लगा है नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय

बिहार के नालंदा जिले में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापना की दिशा में डग भरने लगा है और इसके लिये चिहिनत 446 एकड़ जमीन उपलब्ध होने के बाद भवन निर्माण और अन्य बुनियादी संरचनाओं के विकास के कार्य शुरू होंगे. नयी दिल्ली में 21 फरवरी को संचालन निकाय की बैठक में प्रस्तावित शैक्षिक अनुसंधान केंद्र के स्वरूप पर विस्तार से चर्चा होगी.

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बिहार के नालंदा जिले में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय स्थापना की दिशा में डग भरने लगा है और इसके लिये चिहिनत 446 एकड़ जमीन उपलब्ध होने के बाद भवन निर्माण और अन्य बुनियादी संरचनाओं के विकास के कार्य शुरू होंगे. नयी दिल्ली में 21 फरवरी को संचालन निकाय की बैठक में प्रस्तावित शैक्षिक अनुसंधान केंद्र के स्वरूप पर विस्तार से चर्चा होगी.

इस विश्वविद्यालय के लिये नवनियुक्त कुलपति प्रोफेसर गोपा सभरवाल ने बिहार सरकार के सहयोग को उम्मीद से अधिक बताया और भरोसा जताया कि 2012 से इस विश्वविद्यालय में शैक्षणिक और अकादमिक गतिविधियां शुरू हो जायेंगी.

दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कालेज फॉर वूमन में रीडर रह चुकीं प्रोफेसर गोपा ने बताया, ‘ विश्वविद्यालय को उत्कृष्टतम बनाया जाएगा और जो आकांक्षाएं-संकल्पनाएं इसे स्थापित करने के पीछे हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा.’ प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में पश्चिमी विद्वानों के वर्चस्व को लेकर चल रही बहस के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘इस विवाद में नहीं पड़ना चाहिए. विश्वविद्यालय में उत्कृष्टता का वर्चस्व होगा.’ कुलपति ने कहा कि नालंदा जिले में जमीन अधिग्रहण और पट्टे का हस्तांतरण हो गया है. प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के नेतृत्व वाला नामचीन विद्वानों का ‘मेंटर ग्रुप’ अब संचालक निकाय में परिवर्तित हो गया है.{mospagebreak}

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आगामी 21 फरवरी को नयी दिल्ली में इस संचालक निकाय की बैठक होगी जिसमें विश्वविद्यालय के प्रारूप, नियम-कायदों और संविधान को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसमें विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी और अकादमिक समिति के गठन पर विचार होगा.

प्रोफेसर गोपा ने बताया कि अभी प्राथमिकता प्रस्तावित जमीन पर इमारत बनाने की है. इसके वास्तु आदि पर नयी दिल्ली में होने वाली बैठक में विस्तार से चर्चा होगी. कुलपति ने पाठ्यचर्या के प्रारूप, विद्यार्थियों और प्राध्यापकों की होने वाली भर्ती के संबंध में बैठक से पहले कुछ भी बताने से इनकार किया लेकिन कहा कि नालंदा का गौरव फिर से स्थापित होगा.

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के लिए अभी अंजना शर्मा के रूप में विशेष कार्याधिकारी :ओएसडी: की नियुक्ति कर दी गयी है. इस अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में भारत से भी विद्वानों की संख्या में कोई कमी नहीं रहेगी.

बीते पांच फरवरी को बिहार सरकार ने 446 एकड़ भूमि के ‘म्यूटेशन’ के कागजात पटना में कुलपति को सौंपे थे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के आला अधिकारियों से कहा था कि विश्वविद्यालय के कार्यो के लिए प्रशासन और केंद्र सरकार को भरपूर सहयोग दिया जाये.

उल्लेखनीय है कि नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है और इस विश्वविद्यालय स्थापना में तेजी लाने के लिए वह प्रधानमंत्री सहित विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित नालंदा मेंटर समूह के अध्यक्ष अमर्त्य सेन से कई दौर की बातचीत कर चुके हैं.{mospagebreak}

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भारत सरकार का विदेश मंत्रालय इसमें नोडल एजेंसी है तथा पूर्वी एशिया शिखर बैठक :ईएएस: के 16 राष्ट्रों ने नालंदा विश्वविद्यालय के अतीत को आज की हकीकत बनाने के लिए पूरी कटिबद्धता जताई है.

पर्यटन स्थल राजगीर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर विश्वविद्यालय के लिए जमीन उपलब्ध कराई गयी है. यहां तिल्खी, नेकटपुरा और मोहबल्ला में 446 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित शैक्षिक और अनुसंधान का उत्कृष्ट केंद्र स्थापित होगा. विश्वविद्यालय परियोजना से जुड़े सूचना अधिकारी सह जिले के हिलसा के अनुमंडल पदाधिकारी अमर भूषण ने बताया, ‘‘ विश्वविद्यालय का निर्माण पूरा हो जाएगा तो एक सपना हकीकत में तब्दील हो जाएगा. एक उत्कृष्ट अतीत जिसके बारे में हम किताबों में कभी पढ़ा करते थे वह लोगों के सामने होगा.’

भूषण ने बताया कि इससे जिले का भी पूरा विकास होगा और जहां विश्वविद्यालय स्थापित होने वाला है उसे चार संपर्क मार्गो से जोड़ा जाएगा जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी प्राप्त होगा.

प्रस्तावित विश्वविद्यालय राजगीर छबीलापुर मुख्य मार्ग के करीब स्थित होगा. सड़क मार्ग से जुड़ने के अलावा यह एक हवाई अड्डे से भी जुड़ जाएगा.

शुरूआती परिकल्पना में नालंदा में बौद्ध अध्ययन, दर्शन शास्त्र व तुलनात्मक अध्ययन, इतिहास, अंतरराष्ट्रीय संबंध एवं शांति, बिजनेस प्रबंधन एवं विकास, भाषा एवं साहित्य , पारितंत्र तथा पर्यावरण विज्ञान संबंधी विद्यापीठ स्थापित करने का निर्णय किया गया है.{mospagebreak}

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वर्ष 2007 में मेंटर ग्रुप के गठन और 2010 में लोकसभा और राज्यसभा से नालंदा विश्वविद्यालय स्थापना विधेयक पारित हो जाने के बाद करीब एक हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले विश्वविद्यालय की स्थापना की पहल हुई थी.

चीन और सिंगापुर जैसे देश तो इसमें बहुत गंभीरता से रूचि ले रहे हैं और इसके लिए उदारता से धन देने की बात उन्होंने कही है.

बीते माह बिहार दौरे पर आये भारत में चीन के दूत झांग यान ने कहा था कि नालंदा विश्वविद्यालय के विकास के लिए चीन ने 10 लाख डालर का दान किया है.

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