यूपीए सरकार ने डीजल की कीमतों में 5 रुपये प्रति लीटर बढ़ोतरी करने का फैसला किया है. पेट्रोल, मिट्टी के तेल और रसोई गैस को हालांकि जस का तस छोड़ दिया गया है.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सीसीपीए की बैठक में यह फैसला लिया गया. बढ़ी हुई कीमतें आज रात 12 बजे से लागू हो जाएंगी.
इसके अलावा सरकार ने यह भी फैसला किया है कि साल में सिर्फ 6 ही सिलेंडरों पर सब्सिडी दी जाएगी. यानी कि 6 सिलेंडर के बाद सब्सिडी नहीं मिलेगी. बिना सब्सिडी के मिलने वाले सिलेंडर के लिए 750 रुपये की रकम चुकानी पड़ेगी.
नई दर लागू हो जाने के बाद दिल्ली में डीजल की कीमत 46.32 रुपये प्रति लीटर हो जाएगी. वहीं मुंबई में अब डीजल 51.25 रुपये प्रति लीटर के दर से मिलेगा.
देश के अन्य महानगर कोलकाता और चेन्नई में रहने वाले लोगों को गुरुवार रात 12 बजे के बाद प्रति लीटर डीजल खरीदने के लिए 49.76 रुपये खर्च करने पड़ेंगे.
इन फैसलों को राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील माना जा रहा है पर इनसे पेट्रोलियम कंपनियों को बड़ी राहत मिलने का अनुमान है. साथ ही केंद्र सरकार के वित्तीय घाटे को भी कम करने में मदद मिलेगी.
बैठक के बाद जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार सीसीपीए ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के ऊंचे दाम तथा अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर में तेज गिरावट के कारण तेल का खुदरा कारोबार करने वाली सरकारी कंपनियों को चालू वित्त वर्ष में होने वाली संभावित राजस्व हानि पर गौर किया और इसे ‘चिंताजनक स्थिति’ माना. मौजूदा दशा में भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल की राजस्व हानि चालू वित्त वर्ष 1.87 लाख करोड़ से अधिक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था.
सीसीपीए ने कहा कि तेल विपणन कंपनियों के राजस्व हानि की भरपाई पूरी तरह न होने के कारण उन्हें नुकसान होता है. सरकार के निर्णय से तेल विपणन कंपनियों को मूल्य नियंत्रण व्यवस्था के कारण होने वाले राजस्व हानि में करीब 20,300 करोड़ रुपये की राहत मिलने की उम्मीद है. बावजूद इसके चालू वितत वर्ष इन कंपनियों की कमाई का नुकसान 1.67 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
पिछले वित्त वर्ष 2011-12 में आयातित उत्पाद की तुलना में घरेलू बाजार में कीमतें कम रखने के कारण इन कंपनियों को सरकारी कंपनियों को करीब 1.39 लाख करोड़ रुपये की संभावित कमाई का नुकसान हुआ था.
सरकार ने कहा है कि डीजल के दामों में प्रति लीटर 5 रुपये की वृद्धि में वैट शामिल नहीं है. इस बढोतरी में 1.5 रुपये की वृद्धि उत्पाद शुल्क में वृद्धि के कारण हुई है. बाकी 3.50 रुपये प्रति लीटर तेल कंपनियों के खाते में जाएगा. इससे उन्हें चालू वित्त वर्ष में की शेष अवधि में 15,000 करोड़ रुपये का फायदा होने की उम्मीद है. इस वृद्धि के बाद भी डीजल पर उनकी संभावित राजस्व हानि 1.03 लाख करोड़ रुपये रह जाएगी.
दिल्ली में डीजल का संशोधित मूल्य करीब 47 रुपये प्रति लीटर हो जाएगा. सरकार ने ब्रांडेड डीजल को बाजार दर पर बेचने की अनुमति देने का फैसला किया है. दिल्ली में सब्सिडीशुदा रसोई गैस सिलेंडर का दाम 399 रुपये बना रहेगा. पर सरकार का अनुमान है कि पूरे देश में एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी सीमित करने के निर्णय से तेल कंपनियों को 5033 करोड़ रुपये का फायदा होगा.
सरकारी तेल कंपनियों को नियंत्रित दर पर डीजल और रसोई गैस और अन्य ईंधन की बिक्री से रोजाना 560 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था. पेट्रोल पर 16 करोड़ रुपए प्रतिदिन का नुकसान हो रहा था. सब्सिडी बोझ बढ़ने और आर्थिक नरमी के चलते सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है. वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत था जो चालू वित्त वर्ष में बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है.
राजकोषीय घाटा बढ़ने से ब्याज दर और महंगाई पर असर पड़ता है. रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव नीतिगत ब्याज दरों की कटौती न किये जाने पर केंद्रीय बैंक की आलोचना के जवाब कई बार कह चुके हैं कि उन्हें राजकोषीय नीति की कमजोरी को संभालने का काम न दिया जाए.
डीजल के महंगा होने से मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ सकता है और इस फैसले का रिजर्व बैंक की 17 तारीख को होने वाली मध्य तिमाही की मौद्रिक नीति की समीक्षा पर भी प्रभाव देखने को मिल सकता है. जुलाई में औद्योगिक वृद्धि दर में मात्र 0.1 प्रतिशत की वृद्धि से मायूस उद्योग जगत ने नीतिगत ब्याज दरों में कम-से-कम आधा प्रतिशत कमी किये जाने की मांग की है.