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विचाराधीन बंदियों को जेल में नहीं रखा जाएः दिग्विजय

दिग्विजय सिंह ने इस बार न्यायपालिका को सलाह दे डाली है. उन्होंने विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा किए जाने की पुरजोर वकालत की है.

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दिग्विजय सिंह
दिग्विजय सिंह

दिग्विजय सिंह ने इस बार न्यायपालिका को सलाह दे डाली है. उन्होंने विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा किए जाने की पुरजोर वकालत की है.

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अमेरिका में गोल्डमैन साक्स के पूर्व निदेशक रजत गुप्ता से जुड़े मामले का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उन सभी लोगों को जमानत पर रिहा किये जाने की पुरजोर वकालत की जिनके मामले में जांच पूरी होने पर आरोपपत्र दाखिल किया जा चुका है.

सिंह का यह बयान टू जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमंडल खेल से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोई और कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाडी को को जेल भेजे जाने की पृष्ठभूमि में सामने आई है.

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बहरहाल, कांग्रेस महासचिव ने जोर देकर कहा कि वह किसी का नाम नहीं ले रहे हैं.

सिंह ने माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर कहा, ‘यह जानकर अच्छा लगा कि रजत गुप्ता को जमानत मिल गई. क्या हमारी न्यायपालिका इससे कोई सीख लेगी और आरोपपत्र दाखिल होने के बाद विचाराधीनों को जेल में नहीं रखेगी.’

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गुप्ता को अपने एक करीबी अरबपति मित्र राज राजरत्नम को आंतरिक सूचना दिये जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें अपराध के संबंध में दोष नहीं मानने पर एक करोड़ डालर के मुचलके पर रिहा कर दिया गया.

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बाद में दिग्विजय सिंह ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वी आर कृष्णा अय्यर का हवाला देते हुए कहा कि दोषी साबित होने तक प्रत्येक आरोपी को जमानत प्राप्त करने का अधिकार है.

सिंह ने कहा, ‘जब किसी मामले में किसी व्यक्ति के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया जाता है और जांच का कार्य पूरा कर लिया जाता है, तब प्रत्येक आरोपी को सिद्धांत रूप में जमानत प्राप्त करने का अधिकार है. मैं समझता हूं कि यह ऐसी बात है जिस पर हमारी न्यायपालिका को विचार करना चाहिए.’

कांग्रेस महासचिव ने हालांकि जोर देकर कहा कि वह न तो किसी का नाम ले रहे हैं और इसका संबंध किसी एक विशेष मुद्दे या व्यक्ति से नहीं है.

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उन्होंने कहा, ‘देश के प्रत्येक क्षेत्र में जमानत के अभाव में सैकड़ों विचाराधीन जेल में हैं.’ किसी विशिष्ठ मामले का उल्लेख किये बिना उन्होंने कहा कि बुनियादी विषय यह है कि अगर कोई दोषी करार नहीं दिया जाता है तब तक उसे लम्बे समय तक जेल में रखा जाना कानूनी रूप से सही नहीं है.

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जब उनसे कलमाड़ी के जेल में होने और उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किये जाने के बारे में पूछा गया तब उन्होंने इतना ही कहा कि उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की है कि वह (कलमाड़ी) अपने आप को निर्दोष साबित कर सके.

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