दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के प्रस्तावित विभाजन से सुविधाएं बढ़ने की बात पर जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार की आलोचना करने से पहले भाजपा को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.
दरअसल, इस मुद्दे पर भाजपा की ओर से परस्पर विरोधी बयान आ रहे हैं. शीला ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘भाजपा कभी एमसीडी का विभाजन किए जाने के लिए राजी हो जाती है. कभी वह इसका विरोध करती है. मैं नहीं जानती कि इस मुद्दे पर उनका क्या रुख है. उन्हें अवश्य ही सबसे पहले अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए.’
गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजेन्दर गुप्ता ने शीला पर आरोप लगाया था कि वह इस स्थानीय निकाय को जबरन विभाजित करना चाहती है. उन्होंने एमसीडी को पांच छोटे छोटे भागों में विभाजित किए जाने के प्रस्ताव पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की थी.
बहरहाल, इस मुद्दे पर अपनी ही पार्टी के अंदर से आलोचना का सामना कर रही शीला ने कहा कि स्थानीय निकाय को विभाजित करने से इसके कामकाज में सुधार होगा तथा यह और बेहतर तरीके से लोगों की सेवा करने में सक्षम होगी. दिल्ली केबिनेट ने 2012 के निकाय चुनाव से पहले पिछले हफ्ते एमसीडी को सैद्धांतिक रूप से पांच छोटे छोटे भागों में विभाजित करने का फैसला किया था.
केबिनेट ने स्वास्थ्य मंत्री एके वालिया के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश स्वीकार की थी, जिसने इस स्थानीय निकाय को पांच भागों में विभाजित करने का सुझाव दिया था. समिति ने वार्डों की मौजूदा संख्या 272 को बढ़ाकर करीब 408 वार्ड करने का सुझाव दिया था.
भाजपा ने एमसीडी को छोटे भागों में विभाजित करने की मांग की थी लेकिन फरवरी में सरकार द्वारा उच्च स्तरीय समिति नियुक्त किए जाने के बाद से पार्टी इस कदम का विरोध करने लगी. इस बीच, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति की एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए शीला ने पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं को अगले साल के एमसीडी चुनाव की तैयारी करने को कहा.