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स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए दिशा-निर्देश जारी

संचार विभाग द्वारा 12 नवम्बर से शुरू हो रही स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जिन दूरसंचार कंपनियों के लाइसेंस उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिए हैं, उन्हें प्रत्येक सेवा क्षेत्र के लिए यूनीफाइड लाइसेंस के लिए एक बार में प्रवेश शुल्क के रूप में एक करोड़ रुपये जमा करने होंगे.

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दूरसंचार विभाग द्वारा 12 नवम्बर से शुरू हो रही स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि जिन दूरसंचार कंपनियों के लाइसेंस उच्चतम न्यायालय ने रद्द कर दिए हैं, उन्हें प्रत्येक सेवा क्षेत्र के लिए यूनीफाइड लाइसेंस के लिए एक बार में प्रवेश शुल्क के रूप में एक करोड़ रुपये जमा करने होंगे और यह राशि वापस नहीं लौटाई जाएगी.

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दूरसंचार विभाग द्वारा जारी ‘नोटिस इनवाइटिंग एप्लीकेशन’ में कहा गया है, ‘प्रत्येक सेवा क्षेत्र के लिए प्रवेश शुल्क (वापस न किए जाने योग्य) एक करोड़ रुपये होगा. इसमें हालांकि, जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर का सेवा क्षेत्र नहीं आएगा, जहां प्रवेश शुल्क प्रत्येक के लिए 50 लाख रुपये होगा.’

उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार जिन कंपनियों के लाइसेंस रद्द हो गए हैं, उन्हें अब नीलामी में शामिल होने के लिए नई कंपनी माना जाएगा और यदि वे स्पेक्ट्रम हासिल करने में सफल होती हैं तो उन्हें यूनीफाइड लाइसेंस हासिल करने की आवश्यकता होगी.

दूरसंचार विभाग ने कहा कि एक बार में वापस नहीं किए जाने योग्य प्रवेश शुल्क के अतिरिक्त ‘एजीआर (एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू) के प्रतिशत के रूप में वाषिर्क लाइसेंस शुल्क दूरसंचार विभाग द्वारा तय दरों के अनुसार भरना होगा.’

एनआईए (नोटिस इनवाइटिंग एप्लीकेशन) राष्ट्रीय स्तर पर यूनीफाइड लाइसेंस देने के विचार को शामिल नहीं कर रहा है. भारतीय टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इसकी सिफारिश की थी.

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एनआईए ने कहा, ‘अगर वर्तमान कंपनियां नीलामी में सफलता प्राप्त करती हैं तो उन्हें नीलामी में सफल घोषित होने के सात दिन के भीतर दूरसंचार विभाग को वर्तमान लाइसेंस में संशोधन के लिए आवेदन करना होगा.’

सरकार दो फरवरी को उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द किए गए 122 स्पेक्ट्रम लाइसेंसों की नीलामी कर रही है. 1800 मेगाहर्ट्ज के नए लाइसेंस के लिए कंपनी को कम से कम 14,000 करोड़ रुपए देने होंगे. इसमें कंपनी पूरे देश में सेवा उपलब्ध करा सकेगी.

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