भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने शुक्रवार को कहा कि 2जी मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को सहआरोपी बनाने की मांग करने वाली याचिका सर्वोच्च न्यायालय से खारिज हो जाने पर उसे बहुत खुश नहीं होना चाहिए.
भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका खारिज होने के थोड़े ही समय बाद कहा कि मैंने पूरा फैसला नहीं देखा है, लेकिन सरकार को इसे लेकर इतना खुश नहीं होना चाहिए.
नकवी ने कहा कि सरकार का एक मंत्री पहले से जेल में है और अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी सबूत हैं. यदि किसी तकनीकी कारण से या सबूत के अभाव में कोई निर्णय आया है, तो सरकार को इसका जश्न नहीं मनाना चाहिए, क्योंकि यह आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है.
भाकपा नेता और 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य गुरुदास दासगुप्ता ने भी कहा कि यह सरकार की कोई जीत नहीं है.
दासगुप्ता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय फैसला सुनाने में अपनी जगह सही है लेकिन सांसदों और जेपीसी के अपने दृष्टिकोण हैं. सीबीआई या सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा है, इसका हमारे ऊपर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. दासगुप्ता ने कहा कि हम प्राप्त सबूतों के आधार पर अपना निर्णय लेंगे, यह कोई झटका नहीं है.
ज्ञात हो कि चिदम्बरम को बड़ी राहत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ सहआरोपी बनाने की मांग की गई थी.
स्वामी ने निचली अदालत के चार फरवरी के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. निचली अदालत ने अपने आदेश में चिदम्बरम को सहआरोपी बनाने और उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग खारिज कर दी थी.