कर्नाटक के लोकायुक्त और लोकपाल विधेयक मसौदा समिति के सदस्य संतोष हेगड़े ने कहा कि वह मजबूत लोकपाल विधेयक नहीं बनने की स्थिति में 16 अगस्त से फिर अनशन करने की गांधीवादी अन्ना हज़ारे की योजना के पक्ष में नहीं हैं.
हेगड़े ने यह भी कहा कि वह प्रस्तावित विधेयक की परिणति को लेकर आशंकित हैं क्योंकि मूल रूप से विचार किये गये विधेयक की तुलना में हल्का संस्करण तैयार किया जा सकता है.
लोकायुक्त ने कहा, ‘अन्नाजी को भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखनी चाहिये. उन्हें तुरंत अनशन नहीं करना चाहिये. उन्हें देश भर में जाकर जनता को भ्रष्टाचार के नतीजों और घटनाक्रमों के बारे में अवगत कराना चाहिये.’ हज़ारे ने पिछले दिनों घोषणा की थी कि अगर सख्त लोकपाल विधेयक तैयार नहीं किया गया तो वह 16 अगस्त से फिर अनशन करेंगे.
हेगड़े ने यह भी कहा कि उन्होंने गांधीवादी को सलाह दी कि वह अनशन नहीं करें क्योंकि उन्हें काफी जनसमर्थन प्राप्त है.
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि वह मसौदा समिति से अलग नहीं होंगे, लेकिन पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के चलते 20 जून को होने वाली समिति की बैठक में हिस्सा नहीं ले सकेंगे.
हेगड़े ने कहा कि वह अनशन स्थल या सड़कों पर होने वाले प्रदर्शनों में नहीं जायेंगे क्योंकि वह 2 अगस्त तक कर्नाटक के लोकायुक्त पद पर हैं. हेगड़े ने मसौदा समिति की बैठकों के बारे में बताया, ‘विधेयक पर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है. पिछली बैठक के बाद दोनों पक्षों के बारे में आप महसूस कर सकते हैं कि उनमें बिल्कुल भी तालमेल नहीं रह गया है. लिहाजा, मैं इस कोशिश के अंतिम नतीजे को लेकर आशंकित हूं.’
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने कहा, ‘वे निश्चित तौर पर विधेयक का मसौदा तैयार करेंगे लेकिन वह कितना सख्त होगा, यह सवालों के घेरे में है.’
उन्होंने संशय जताते हुए कहा कि सरकार प्रधानमंत्री, उच्च न्यायपालिका, रक्षा खरीद, केंद्र सरकार के कर्मी और संसद के भीतर सांसदों के भ्रष्ट आचरण को लोकपाल के दायरे में नहीं लाना चाहती.
सीबीआई को आरटीआई कानून के दायरे से बाहर कर देने के बारे में उन्होंने कहा कि आज वे सीबीआई को बाहर रखना चाहते हैं, कल वे पुलिस को इसके दायरे से अलग कर देंगे. अगर एक बार जांच पूरी हो जाये तो पारदर्शिता सुनिश्चित कराने के लिये जानकारी का आदान-प्रदान किया जा सकता है.