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सतत मूल्यांकन को छात्रों पर दबाव का माध्यम नहीं बनायें स्कूल: सीबीएसई

एक तरफ सरकार छात्रों से परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए 10वीं बोर्ड को वैकल्पिक बनाने और सतत समग्र मूल्यांकन की व्यवस्था कर रही है वहीं कुछ स्कूल सतत समग्र मूल्यांकन के तहत प्रतिदिन छात्रों की रचनात्मक (फार्मेटिव) जांच परीक्षा ले रहे हैं.

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एक तरफ सरकार छात्रों से परीक्षा के तनाव को दूर करने के लिए 10वीं बोर्ड को वैकल्पिक बनाने और सतत समग्र मूल्यांकन की व्यवस्था कर रही है वहीं कुछ स्कूल सतत समग्र मूल्यांकन के तहत प्रतिदिन छात्रों की रचनात्मक (फार्मेटिव) जांच परीक्षा ले रहे हैं.

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ऐसे स्कूलों के प्रतिदिन फार्मेटिव जांच लेने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें इस तरह बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाने के प्रति चेताया है. सीबीएसई ने अपने ताजा परिपत्र में स्कूलों से छात्रों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए अनुशासन के नाम पर उनसे र्दुव्‍यवहार नहीं करने का निर्देश दिया है.

सीबीएसई के अध्यक्ष विनीत जोशी ने कहा ‘‘किसी भी स्कूल को अनुशासन के नाम पर बच्चों या उनके अभिभावकों के साथ र्दुव्‍यवहार नहीं करना चाहिए क्योंकि स्कूल वैचारिक संस्थान होते हैं, कोई कारखाना नहीं.’’ बोर्ड ने कहा है कि 9वीं कक्षा के लिए समेटिव (व्यावहारिक ज्ञान) जांच में बच्चों से बहुविकल्प पर आधारित प्रश्न पूछे जाने चाहिए.

परिपत्र में यह भी कहा गया है ‘‘स्कूलों को छात्रों की संवेदनशीलता और उनके मस्तिष्क में उठने वाले विचारों के प्रति जागरुक होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक दर्जे के आधार पर उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाए.’’ बोर्ड के अनुसार, ‘‘शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया के तहत स्कूलों में सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) शुरू किया गया है. यह पिछले वर्ष अक्‍टूबर से अमल में आ गया है लेकिन ऐसा पाया गया है कि कुछ स्कूल प्रतिदिन ‘फार्मेटिव जांच’ ले रहे हैं. इससे छात्रों पर अनावश्यक दबाव बन रहा है क्योंकि उनसे कहा जा रहा है कि इसके माध्यम से उनके प्रत्येक पहलुओं का आकलन किया जा रहा है.’’

बोर्ड ने स्वीकार किया कि इसके कारण छात्रों पर काफी दबाव पड़ रहा है. उल्लेखनीय है कि सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) के दो स्वरूप निर्धारित किये गए हैं जिसमें पहला रचनात्मक ज्ञान परखने पर आधारित (फार्मेटिव) है जबकि दूसरे के माध्यम से व्यवहारिक ज्ञान (समेटिव) को परखा जायेगा. रचनात्मक ज्ञान की परख के लिए 40 प्रतिशत अंक निर्धारित किये गए हैं जबकि व्यवहारिक ज्ञान की परख के लिए 60 प्रतिशत अंक रखे गए हैं. बोर्ड ने अंक के स्थान पर ग्रेड की व्यवस्था की है.

ग्रेड को ए 1, ए 2, ए 3, बी 1, बी 2, सी 1, सी 2, सी 3 और ई वर्ग में बांटा गया है. इसके तहत 95 से 100 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को ए 1 ग्रेड, 90 से 94 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वालों को ए 2, 80 से 89 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले ए 3, 70 से 79 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले बी 1, 60 से 69 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले बी 2, 50 से 59 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले सी 1, 40 से 49 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले सी 2, 33 से 39 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले सी 3 और 32 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वालों छात्रों को ई ग्रेड प्रदान किया जाएगा.

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