हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू और चार अन्य लोगों की मौत जिस हेलीकॉप्टर हादसे में हुई थी, उसकी प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि हेलीकॉप्टर खराब मौसम में उड़ान भरने योग्य नहीं था.
सूत्रों ने 30 अप्रैल को हुए हादसे की प्रारंभिक जांच के नतीजों के हवाले से आज कहा कि एक इंजन वाले हेलीकॉप्टर यूरोकॉप्टर एएस 350 बी3 में उपकरण उड़ान नियम (आईएफआर) का इस्तेमाल करते हुए विपरीत मौसम में भी उड़ान के लिए जरूरी उपकरण नहीं लगे थे.
सू़त्रों ने कहा कि पिछले साल दिसंबर से सेवा में लाये गये चार सीटों वाले पवन हंस हेलीकॉप्टर में क्षमता से अधिक लोग सवार थे. इस पर पांच लोग बैठे थे.
हेलीकॉप्टर ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग से इटानगर के लिए उड़ान भरी थी और 20 मिनट बाद लापता हो गया था. ऊंचे पर्वतीय इलाके में घने जंगलों में पांच दिन तक सघन तलाशी के बाद हेलीकॉप्टर का मलबा और मृतकों के शव मिले.
सूत्रों ने कहा कि हेलीकाप्टर को दृश्य उड़ान नियमों (वीएफआर) के तहत उड़ाया जा रहा था क्योंकि इसमें आईएफआर उपकरण नहीं लगे थे. आईएफआर के तहत विमान को इन उपकरणों के लिहाज से ही उड़ाया जाता है.
हेलीकॉप्टर की उड़ान के लिए एक साल पहले प्रभाव में आये ताजा नियमों में रात में और विशेष हालात में एक इंजन वाले हेलीकॉप्टर के परिचालन पर पाबंदी है. ये परिस्थिति मौसम से संबंधित हैं. सूत्रों ने कहा कि दुर्घटना वाले दिन मौसम की स्थिति वीएफआर और एक इंजन वाले हेलीकॉप्टर की उड़ान के लिहाज से सकारात्मक नहीं थी.
पवन हंस के अधिकारियों ने कहा कि हेलीकॉप्टर को लेकर उड़ान भरने वाले कैप्टर टी.एस. मलिक और कैप्टन जे.एस. बब्बर अनुभवी पायलट थे और उन्हें क्रमश: 4,000 घंटे और 3,200 घंटे उड़ान का अनुभव था.
नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) पी.एस. अहलूवालिया के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच समिति ने मामले में जांच शुरू की है. समिति से तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया है.