प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए सात मंत्रियों को हटा दिया और वी किशोर चंद देव तथा सात अन्य नये चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी. इसके अलावा तीन अन्य मंत्रियों का दर्जा बढ़ा दिया गया.
मंत्रिमंडल विस्तार की भारी चर्चा के बीच प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल तो किया, लेकिन ‘चार बड़े’ वित्त, गृह, रक्षा और विदेश मामले को हाथ नहीं लगाया. एम वीरप्पा मोइली को कानून मंत्रालय से हटाकर कोरपोरेट मामले में भेज दिया गया, जबकि उनकी छोड़ी कानून मंत्री की कुर्सी सलमान खुर्शीद के हवाले कर दी गई.
तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी का दर्जा बढ़ाकर उन्हें केबिनेट में जगह दी गई और उन्हीं की पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी द्वारा छोड़ा गया रेल विभाग उन्हें सौंप दिया गया. बेनी प्रसाद वर्मा को केन्द्रीय इस्पात मंत्री बनाया गया। इससे पहले वह स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री के तौर पर यही मंत्रालय देख रहे थे.
इस फेरबदल के दौरान मनमोहन सिंह के दिमाग में कहीं न कहीं इस अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव जरूर रहे होंगे विशेषकर उत्तर प्रदेश के चुनाव. तभी तो बेनी प्रसाद वर्मा और राजीव शुक्ला जैसे लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है. वहीं इस फेरबदल में राहुल गांधी की भी खूब चली और उनकी पसंद के युवा नेताओं जितेंद्र सिंह, मिलिंद देवड़ा को भी जगह दी गई है. वहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय की कमान जयराम रमेश को सौंप दी गई है जो पर्यावरण मंत्रलाय में बहुत अच्छा काम कर रहे थे. कांग्रेस और राहुल के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय बेहद महत्वपूर्ण है इसलिए रमेश को इसकी कमान सौंपी गई है.
गौरतलब है कि मनरेगा जैसी महत्पूर्ण योजनाएं इसी मंत्रलाय के तहत आती हैं. मनमोहन सिंह ने कहा है कि 2014 में होने वाले अंतिम विधानसभा चुनावों से पहले संभवत: यह अंतिम फेरबदल है. मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में फेरबदल पर प्रस्तुत है इंडिया टुडे ग्रुप के विभिन्न एडीटरों की राय-
मेल टुडे के एडिटर भारत भूषण की राय
जैसा कि उम्मीद थी, मनमोहन मंत्रिमंडल में यह फेरबदल एक फौरी कवायद बनकर रह गया. स्पष्ट है कि कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को कोई बड़ा बदलाव करने की छूट नहीं दी. ऐसे समय में जब कि पार्टी भ्रष्टचार के मामले में बुरी तरह से घिरी है और न्यायपालिका की आलोचना का लगातार शिकार हो रही है, कांग्रेस संभवत: सरकार में कोई बड़ा फेरबदल नहीं करना चाहती थी. इस फेरबदल में जो दो सबसे महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं वो हैं कानून मंत्रलाय तथा पर्यावरण मंत्रालय के सर्वोच्च पदों पर हुए बदलाव.
इंडिया टुडे के एडिटोरियल डाइरेक्टर एमजे अकबर की राय
वरिष्ठ पत्रकार और इंडिया टुडे के एडिटोरियल डाइरेक्टर एमजे अकबर की राय में यह कोई मंत्रिमंडलीय फेरबदल नहीं था बल्कि एक तरह का जुगाड़ था. अकबर ने कहा कि कैबिनेट में फेरबदल की यह पूरी कवायद आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनवों को ध्यान में रखकर की गई प्रतीत होती है. उन्होंने कहा कि कानून मंत्रालय में फेरबदल कर प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले को जिस तरह से निपटा गया वो अस्वीकार्य है.
आजतक के एक्जेक्यूटिव एडिटर अजय कुमार की राय
एक पुरानी सैनिक कहावत है कि दुश्मन पर हमला करने से पहले अपना घर दुरुस्त कर लिया जाए. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी टीम ऐसा ही जोखिम उठाते प्रतीत हो रहे हैं. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटालों के इतने आरोप लगे हों और साथ ही देश की शीर्ष अदालत लगातार विभिन्न मामलों पर सरकार की आलोचना कर रही हो. ऐसे में मनमोहन और उनकी टीम द्वारा किया गया यह मंत्रिमंडलीय फेरबदल व्यर्थ ही प्रतीत होता है.