मिस्र में सरकार विरोधी प्रदर्शन 17वें दिन में प्रवेश कर गया, लेकिन प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के पद छोड़ने की अपनी मांग पर अडिग हैं. दूसरी ओर सरकार ने सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दी है.
ऐसी खबरें भी आयी हैं कि सेना लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर उनका उत्पीड़न कर रही है. राजधानी काहिरा के तहरीर चौराहे से बुधवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने संसद की ओर कूच किया. मंगलवार को विशाल प्रदर्शन हुआ था जो विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से अबतक का सबसे बड़ा प्रदर्शन था. जनआंदोलन अब पूरे देश में फैल गया है.
विदेश मंत्री अहमद अबुल घेत ने चेतावनी दी है कि मुबारक के शासन के खिलाफ प्रदर्शन जारी रहा तो अबतक करीब करीब तटस्थ रही सेना हस्तक्षेप करेगी. अल अरबिया को दिए साक्षात्कार में घेत ने कहा, ‘यदि देश में अराजकता हुई तो सशस्त्र बल उसे नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करेंगे, इससे बड़ी खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है.’ {mospagebreak}
उधर, महज नौ दिन पहले नियुक्त किए गए मिस्र के संस्कृति मंत्री जबर अस्फुर ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी. उन्होंने कहा कि सेहत से जुड़ी वजहों से उन्होंने इस्तीफा दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि नए कैबिनेट में शामिल होने पर बुद्धिजीवियों की आलोचना का शिकार होने के कारण अस्फुर ने पद से इस्तीफा दिया है.
नवनियुक्त उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान ने सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण नहीं होने की स्थिति में तख्तापलट की चेतावनी दी है. इस चेतावनी को जारी किए जाने के बाद ही घेत का यह बयान आया है. उन्होंने अमेरिका पर ‘तुरंत सुधार की मांग कर मिस्र पर अपनी इच्छा थोपने’ का भी आरोप लगाया. घेत के बयान के तुरंत बाद अमेरिका ने मिस्र की सेना से संयम बरतने की अपील की है.
समाचार चैनल अल-जजीरा ने खबर दी है कि मिस्र में बुधवार को 20,000 फैक्टरी कर्मचारी काम पर नहीं पहुंचे. कामगारों का कहना है कि वे अच्छा वेतन चाहते हैं. उनका कहना है कि सरकार अपने वादे के मुताबिक वेतन में तत्कालन 15 फीसदी का इजाफा करे. मिस्र में मुबारक की ओर से संवैधानिक बदलाव पर गठित आयोग ने छह संशोधन का प्रस्ताव रखा है. {mospagebreak}
आयोग ने अनुच्छेद 76 और अनुच्छेद 77 में बदलाव पर विचार करने पर सहमति जतायी है. अनुच्छेद 76 में इस बात का प्रावधान है कि कौन राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हो सकता है. अनुच्छेद 77 के अनुसार राष्ट्रपति के कार्यकाल की कोई सीमा नहीं है और इसी अनुच्छेद की वजह से मुबारक पिछले 30 साल से राष्ट्रपति बने हुए हैं.
आयोग ने दशकों से आपात जैसे माहौल के बारे में कोई चर्चा नहीं की है जिसके बारे में मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इसकी वजह से अभिव्यक्ति और एकत्रित होने की आजादी उपहास का पात्र बन जाती है. अमेरिका ने भी इस प्रतिबंध को तुरंत वापस लेने की मांग की है. पैनल चुनाव के अनुच्छेद 88, अनुच्छेद 93 तथा अनुच्छेद 179 में संशोधन पर भी सहमत हुआ है.
अनुच्छेद 88 चुनाव के न्यायिक निरीक्षण से संबंधित है जबकि अनुच्छेद 93 चुनाव का आधिकारिक नतीजे के खिलाफ अपील से संबंध है. अनुच्छेद 179 राष्ट्रपति को आतंकवादी कृत्य के मामले में आरोपी के खिलाफ सैन्य सुनवाई का अधिकार प्रदान करता है. समीक्षा के दायरे में अनुच्छेद 189 भी आया है जो फिलहाल केवल राष्ट्रपति और संसद के अध्यक्ष को ही संवैधानिक संशोधन के बारे में निर्णय लेने का अधिकार प्रदान करता है. सुलेमान प्रभावशाली मुस्लिम ब्रदरहुड समेत विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों से मिले. {mospagebreak}
मिस्र में पिछले दो सप्ताह से जारी प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में मुबारक के 30 साल के शासन से लोकतंत्र की ओर परिवर्तन की प्रक्रिया पर नजर रखने की जिम्मेवारी अमेरिका के चहेते समझे जाने वाले सुलेमान पर ही है. वार्ता के बाद सरकार ने कहा कि विभिन्न दल इन संवैधानिक सुधारों पर अध्ययन के लिए न्यायाधीशों और राजनेताओं की एक समिति गठित करने पर राजी हुए.
मिस्र में 25 जनवरी से ही मुबारक के शासन के खिलाफ जनांदोलन चल रहा है जिससे वहां की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. प्रदर्शनकारियों को मुबारक की यह पेशकश मंजूर नहीं है कि सितंबर में कार्यकाल पूरा होने पर वह पद छोड़ देंगे. उनकी मांग है कि वह तत्काल पद छोड़ें.