मिस्र की कार्यवाहक सैन्य सरकार ने देश से पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक के कार्यकाल के निशान मिटाने के लिए तथा प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग को मानते हुए संसद भंग कर दी और संविधान को स्थगित कर दिया.
देश में 30 वर्ष तक सत्ता में रहने के बाद जनता के दबाव में मुबारक के सत्ता छोड़ने के बाद प्रशासनिक मामले संभाल रही सैन्य सशस्त्र परिषद ने प्रदर्शनकारियों की मांग मानते हुए संसद भंग करके संविधान स्थगित कर दिया. परिषद ने कहा कि वह आगामी छह महीने या देश की अगली सरकार चुने जाने के लिए होने वाले चुनाव तक सत्ता में बनी रहेगी.
परिषद ने साथ ही चुनाव सितम्बर में कराया जाना निर्धारित किया जिसमें अंतत: देश की अगली सरकार चुनी जाएगी. पिछले करीब 20 दिन से तहरीर चौक पर प्रदर्शन करने वाले प्रदर्शनकारियों की मांगों में संसद भंग करके संविधान स्थगित करना प्रमुख मांग थी क्योंकि संसद में अधिकतर सदस्य मुबारक के वफादार थे.
संसद का चुनाव पिछले वर्ष कराया गया था. संसद में अधिकतर संख्या मुबारक की पार्टी नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों की थी. लोगों का मानना था कि यह संसद अवैध तरीके से चुनी गई थी क्योंकि चुनाव में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई थी. लोगों का मानना था कि चुनाव में हेराफेरी के कारण ही सत्ताधारी पार्टी बड़े अंतर से जीत दर्ज कर सकी और विपक्ष का पूरी तरह से सफाया हो गया था.