बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिजली को बिहार की सबसे बड़ी जरूरत बताते हुये बुधवार को कहा कि इसके लिए बिहार पूरी तरह केन्द्र पर निर्भर है.
आद्री द्वारा आयोजित एक समारोह में भाग लेते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार को 1600 मेगावाट बिजली की जरूरत है जबकि उसे मात्र 900 मेगावाट ही बिजली मिल पा रही है. नीतीश ने कहा कि बिहार को मिलने वाली बिजली में से नेपाल रेलवे और रक्षा प्रतिष्ठानों को विद्युत आपूर्ति किए जाने के बाद देने के बाद इसके पास मात्र 700 से 750 मेगावाट ही बिजली बचती है जिससे पूरे राज्य की बिजली की आवश्यकता की पूर्ति की जाती है.
उन्होंने बताया कि बिहार में निजी और सार्वजनिक दोनों सेक्टर में पावर प्लान्ट लगाये जा सकते हैं पर कोल लिंकेज की बड़ी समस्या है. नीतीश ने कहा कि इसके अलावा गंगा बेसिन से थर्मल पावर प्लान्ट के लिए पानी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गयी है जबकि बिहार में गंगा के प्रवेश के समय 400 क्यूसेक पानी का बहाव रहता है और बिहार छोड़ते समय इसका डिस्चार्ज बढ़कर 1500 क्यूसेक हो जाता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयातित कोयले के कारण एनटीपीसी की बिजली महंगी हो गयी है और 60 से 90 करोड़ रुपये अनुदान के रुप में राज्य सरकार को देने पड़ रहे हैं. नीतीश ने बिहार में चीनी मिलों के माध्यम से एथनाल के साथ-साथ बिजली उत्पादन में हो रही कठिनाई की चर्चा करते हुये कहा कि इन मिलों के माध्यम से दो हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है.