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दिल्‍ली में 24 प्रतिशत महंगी हुई बिजली

दिल्‍ली के लोगों को सरकार ने महंगाई का एक और झटका दिया है. पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे दिल्‍लीवासियों को अब बिजली के लिए भी ज्‍यादा पैसे भरने पड़ेंगे. सरकार ने 1 जुलाई से बिजली की दरों में करीब 24 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है.

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पहले ही महंगाई से त्रस्त दिल्ली के लोगों को एक जुलाई से बिजली के लिए अपनी जेबें और ढीली करनी पड़ेंगी. बिजली नियामक डीईआरसी ने वर्ष घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें करीब 24 प्रतिशत तक बढ़ाने की मंगलवार को घोषणा की.

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दिल्ली विद्युत नियामकीय आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन पी.डी. सुधाकर ने कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं के लिए शुल्क में 24.15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जबकि संपूर्ण बिल पर अतिरिक्त 8 प्रतिशत अधिभार लगाया गया है जिससे कुल वृद्धि 26 प्रतिशत बैठेगी. वाणिज्यिक एवं औद्योगिक क्षेत्र सहित सभी वर्गों के लिए औसत शुल्क वृद्धि 20.87 प्रतिशत है. नई दरें एक जुलाई से प्रभावी होंगी.

सुधाकर ने कहा, ‘हमने बिजली वितरण कंपनियों की कठिन वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखकर शुल्क बढ़ाने का निर्णय किया है.’ नई दरों के मुताबिक, एक घरेलू उपभोक्ता से प्रथम 300 यूनिट बिजली के लिए 3.70 रुपये प्रति यूनिट की दर से शुल्क वसूला जाएगा. अभी यह दर 3 रुपये प्रति यूनिट है.

प्रति माह 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को 4.80 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली शुल्क का भुगतान करना होगा. अभी, 400 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं से प्रथम 200 यूनिट के लिए 3 रुपये प्रति यूनिट की दर से शुल्क लिया जाता है और फिर 400 यूनिट तक की खपत के लिए 4.80 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान लिया जाता है.

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सुधाकर ने कहा कि 400 यूनिट से अधिक बिजली खपत के लिए 6.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से शुल्क वसूला जाएगा जो अभी 5.70 रुपये प्रति यूनिट है. दो किलोवाट तक मंजूर लोड रखने वाले उपभोक्ताओं के लिए मासिक निर्धारित शुल्क 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया गया है, जबकि 2 किलोवाट से 5 किलोवाट के बीच मंजूर लोड रखने वाले उपभोक्ताओं को निर्धारित शुल्क के तौर पर 100 रुपये का भुगतान करना होगा जो अभी 75 रुपये है.

नियामक ने पिछले साल अगस्त में सभी वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए शुल्क में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी. फरवरी में शुल्क में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई थी, जबकि इस साल मई में दर में दो प्रतिशत की वृद्धि की गई ताकि बिजली वितरण कंपनियों की बिजली खरीद लागत को समायोजित किया जा सके. सभी खंडों में शुल्क वृद्धि घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सबसे अधिक है.

वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए वृद्धि 19.49 प्रतिशत है, जबकि औद्योगिक उपभोग के लिए यह 20.2 प्रतिशत है. डीईआरसी के एक अधिकारी ने कहा कि आठ प्रतिशत का अतिरिक्त अधिभार का मतलब है कि एक उपभोक्ता का संपूर्ण बिल अगर 100 रुपये है तो उसे अतिरिक्त 8 रुपये का भुगतान करना होगा. हालांकि यह अधिभार उन इलाकों में लागू नहीं होगा जहां एनडीएमसी बिजली की आपूर्ति करती है.

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सभी तीन बिजली वितरण कंपनियां बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड, बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने खराब वित्तीय हालत का हवाला देते हुए दरों में वृद्धि किए जाने पर जोर देती रही है. उल्लेखनीय है कि बीएसईएस राजधानी द्वारा 225 करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि का भुगतान करने में विफल रहने पर सार्वजनिक क्षेत्र की एनएचपीसी ने बीएसईएस राजधानी को 200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति रोक दी जिसके चलते दिल्ली में कई इलाकों में उपभोक्ताओं को पिछले पांच दिनों से बिजली का संकट झेलना पड़ रहा है.

एक अन्य बिजली उत्पादन कंपनी दामोदर वैली कारपोरेशन ने करीब 330 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किए जाने पर बिजली वितरण कंपनी को 280 मेगावाट की आपूर्ति रोकने की धमकी दी है.

दो बीएसईएस वितरण कंपनियों ने कहा है कि लागत प्रभावी शुल्क ढांचे की कमी के चलते स्थिति और गंभीर हो गई है. डीईआरसी द्वारा बिजली की शुल्क दरों में यह घोषणा किए जाने से पहले सोमवार को मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शुल्क दरों में यह कहते हुए बढ़ोतरी किए जाने की वकालत की कि डीईआरसी को नयी दरें तय करते समय स्थिति को एक वास्तविक नजरिए से देखना होगा.

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