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अस्तित्‍व की लड़ाई लड़ रहे हैं हाथी

पृथ्वी पर रहने वाला संसार का विशालतम जीव हाथी आज अवैध शिकार, दांत कारोबार, आवास के लिये मानव के साथ बढ़ते संघर्ष और मांस व्यापार के कारण खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है .

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पृथ्वी पर रहने वाला संसार का विशालतम जीव हाथी आज अवैध शिकार, दांत कारोबार, आवास के लिये मानव के साथ बढ़ते संघर्ष और मांस व्यापार के कारण खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. विश्व भर में पशुओं को बचाने और उनके लिये आवाज उठाने वाली प्रसिद्ध संस्था पेटा की भारत में सी ई ओ पूर्वा जोशीपुरा के मुताबिक‍ भारत सरकार ने हाल ही में हाथी को ‘राष्ट्रीय विरासत पशु’ घोषित किया है जो बहुत ही सराहनीय कदम है. पूर्वा के मुताबिक इस घोषणा के बाद राष्ट्रीय पशु बाघ की तरह हाथी को सुरक्षा दी जायेगी ताकि उसे शिकारियों के आतंक से बचाया जा सके. लेकिन सिर्फ घोषणा कर देने से सब कुछ नहीं होने वाला है.

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प्रत्येक व्यक्ति और विश्व भर की सरकारों को इस बुद्धिमान और संवेदनशील प्राणी को बचाने के लिये गंभीरतापूर्वक काम करना होगा. पूर्वा ने बताया कि भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में हाथियों को पकड़ कर जंजीरों से बांध कर उनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. हाथियों को भारी भरकम बोझ उठाने के लिये बाध्य किया जा रहा है. हाथियों को लोहे की छड़ें चुभोयी जाती हैं और उन्हें जंगल की बजाय चिड़िया घर में बंद करके रखा जाता है. {mospagebreak}ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के हाल ही में कराये गये शोध से पता चला है कि चिड़ियाघर में बंद हाथी को जिस तरह का व्यवहार करने के लिये बाध्य किया जाता है, उससे हाथियों में गंभीर मानसिक तनाव पैदा होता है.शोध के मुताबिक, इस तरह का व्यवहार काल कोठरी में बंद मानसिक रोगियों में देखा जाता है. लेकिन ऐसा व्यवहार उन हाथियों में नहीं पाया जाता जो अपने प्राकृतिक आवास जंगल में रहते हैं. पूर्वा ने बताया कि दुनिया भर में कुछ दयनीय चिड़ियाघरों को बनाये रखने और प्रजनन परियोजनाओं को चलाने के लिये करोड़ों रपये खर्च किये जा रहे हैं लेकिन इससे हाथी की परिस्थितियों में कोई सुधार नहीं आ रहा है. गौरतलब है कि भारत में 10 हजार से 15 हजार के करीब हाथी पाये जाते हैं जो एशिया महाद्वीप में सबसे ज्यादा हैं. इन हाथियों में सबसे ज्यादा पूर्वोत्तर राज्यों असम, अरूणाचल प्रदेश और मेघालय में पाये जाते हैं.

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