scorecardresearch
 

आचार्य जानकी वल्‍लभ शास्‍त्री का निधन

अपनी पीढ़ी के साहित्यकारों के सिरमौर महाकवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री नहीं रहे. बृहस्‍पतिवार, 7 अप्रैल की देर शाम लगभग नौ बजे उन्होंने अपने आवासीय परिसर निराला निकेतन में अंतिम सांसें लीं.

Advertisement
X

अपनी पीढ़ी के साहित्यकारों के सिरमौर महाकवि आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री नहीं रहे. बृहस्‍पतिवार, 7 अप्रैल की देर शाम लगभग नौ बजे उन्होंने अपने आवासीय परिसर निराला निकेतन में अंतिम सांसें लीं.

Advertisement

पिछले कई महीनों से बीमार चल रहे शास्त्रीजी तीन सप्ताह तक श्रीकृष्‍ण मेडिकल कॉलेज अस्‍पताल में भर्ती थें. वहां से चार मार्च को लौटे शास्त्रीजी की नियमित जांच चल रही थी और वे स्वस्थ भी थे. शास्त्रीजी की इच्छा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार, 8 अप्रैल की दोपहर बाद निराला निकेतन परिसर में उनकी मां की स्मृति में बने अनुपमा कला मंच के पास कर दिया गया. यहीं उनकी बहन मानवती मिश्रा की स्मृति में बना तुलसी चौरा भी है.

पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक गुरुवार की शाम हल्की बेचैनी महसूस होने पर चिकित्सकों को सूचित किया गया. इलाज के दौरान ही उन्होंने अंतिम सांसें लीं. एसकेएमसीएच के अधीक्षक डा. जी के ठाकुर ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर मेडिकल टीम नियमित जांच कर रही थी. गुरुवार की दोपहर भी टीम उनके आवास पर गई थी जहां वे सामान्य थे. उनको बुढ़ापे में होने वाली बीमारी कमजोरी व याद्दाश्त में कमी की समस्या थी.

Advertisement

आचार्यश्री सात दशक पूर्व मुजफ्फरपुर आए और फिर यहीं के होकर रह गए थे. वे यहां रामदयालु सिंह कालेज में हिंदी के विभागाध्यक्ष भी रहे लेकिन उनका कद इस पद से हमेशा बड़ा रहा.

Advertisement
Advertisement