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काले धन पर श्‍वेतपत्र जारी करे केंद्र: आडवाणी

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह इसबारे में संसद के अगले सत्र में श्‍वेतपत्र जारी करे कि देश के बाहर कितना कालाधन जमा है और उसे वापस लाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं.

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लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह इसबारे में संसद के अगले सत्र में श्‍वेतपत्र जारी करे कि देश के बाहर कितना कालाधन जमा है और उसे वापस लाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं.

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भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जनचेतना यात्रा के लिए पटना से आरा रवाना होने के पूर्व यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए आडवाणी ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह देश के बाहर कितना कालाधन जमा है और उसे वापस लाने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं, इसबारे में श्‍वेतपत्र जारी करे.
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आडवाणी ने कहा कि विदेशी बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा कराए गए कालेधन को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री को पहला पत्र 2009 में लिखा था और उसके बाद सरकार की ओर से बार-बार कहा गया कि इस मामले को वह संजीदगी के साथ ले रही है.

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भाजपा नेता ने कहा कि जब इस मामले को उन्होंने 2009 में पहली बार उठाया था तो कांग्रेस की ओर से उनका मजाक उड़ाया गया था. यह कहा गया था उनकी (राजग) सरकार थी तो उन्होंने इस मामले में कुछ क्यों नहीं किया. आडवाणी ने कहा कि यह सबको पता है उस समय स्विस बैंक ने यह कहकर इस बारे में कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया था कि ‘उनके देश के कानून अलग हैं और उनमें बाहरी देश हस्तक्षेप नहीं कर सकते.’

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उन्होंने कहा कि जब अमेरिका की अर्थव्यवस्था की स्थिति बिगड़ी और अन्य यूरोपीय देशों में समस्याएं उत्पन्न हुईं तब उन्होंने स्विस बैंक को इसके लिए मजबूर किया. इसके बाद अमेरिका जर्मनी और फ्रांस अपने देश के लोगों द्वारा वहां जमा कराये गए धन को वापस ला सके.

भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को उसी समय पत्र लिखकर कहा था कि भारत की जो समस्याएं हैं चाहे वह पिछड़ापन हो, आधारभूत संरचना की कमी हो या गांवों में बिजली-पानी की समस्या हो, उनका हल संभव है लेकिन तब, जब देश के बाहर जमा कराए गए काले धन को यहां वापस लाया जाए.

उन्होंने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव के समय प्रधानमंत्री ने इस मामले में 100 दिनों के अंदर कदम उठाने की बात कही थी लेकिन खेद है कि अबतक इस दिशा में केंद्र की ओर से संजीदगी के साथ पहल नहीं की गई है. आडवाणी ने कहा कि इन देशों ने उन भारतीयों के नाम भी सरकार को दिए हैं जिनका विदेशी बैंकों में धन जमा हैं और उनकी मांग है कि उन नामों को केंद्र सरकार प्रकाशित करे.

भाजपा नेता ने कहा कि उन्होंने सुना है कि यह तय किया गया है कि वे नाम प्रकाशित नहीं किए जाएंगे, इनकमटैक्स विभाग इन नामों की छानबीन करे. उन्होंने कहा कि इससे इस बात का संदेह पैदा होता है कि वे नाम उन्हीं के साथ जुडे लोगों के होंगे, चाहे वह उद्योगपति, राजनेता अथवा अपराधी हों जिनका नाम सार्वजनिक होने से उनकी भेद खुल जाएगा.

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आडवाणी ने गलोबल फिनांशियल इंटीग्रिटी रिपोर्ट (जीएफआई) का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 1948 से 2008 के दौरान भारत से 213 बिलियन डालर अवैध तरीके से देश के बाहर भेजा गया. उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह आंकड़ा 2.5 लाख करोड रुपये (462 बिलियन डालर) पहुंच गया है.

अगले लोकसभा चुनाव में राजग के केंद्र में सत्ता में आने पर देश का प्रधानमंत्री कौन होगा इस बारे में पूछे जाने पर आडवाणी ने कहा कि उक्त पद पर आसीन होने की इच्छा रखने मात्र से कोई व्यक्ति आसीन नहीं हो जाता बल्कि इस बारे में पार्टी निर्णय लेती है. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उनकी इस यात्रा का उद्देश्य देश में फैले भ्रष्टाचार और बाहरी देशों के बैंकों में जमा भारत का कालाधन देश में वापस लाने के बारे में जनचेतना जगाना है.

आडवाणी ने कहा कि जिस प्रकार से केंद्र की वर्तमान सरकार चल रही है कभी भी चुनाव हो सकता है लेकिन प्रधानमंत्री पद पर कौन आसीन होगा, इसके बारे में निर्णय पार्टी लेगी.

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की उनसे नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर उसका खंडन करते हुए आडवाणी ने कहा कि नरेंद्र जी ने भाजपा के संदर्भ में और उनकी यात्रा के बारे में अपने ब्लॉग पर लिखा है कि कितना परिवर्तन हुआ है स्थिति में, एक समय था जब मेरी यात्रा को बिहार में रोका गया था और जेल भेजा गया और अबकी बार जब फिर से यात्रा पर निकलने का मन बनाया तो वहीं के मुख्यमंत्री उन्हें हरी झंडी दिखाकर रवाना कर रहे हैं.

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जन लोकपाल बिल को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आडवाणी ने कहा कि यह मामला अभी स्थाई समिति के समक्ष लंबित है और संसद के अगले सत्र में एक मजबूत और प्रभावकारी जनलोकपाल बिल लाया जाएगा ऐसी वे आशा करते हैं.

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