गणतंत्र दिवस समारोह की सुरक्षा अब आसमान से तीसरी आंख भी करेगी. जी हां, इस बार 26 जनवरी पर राजधानी के आसमान में अनमैन्ड एरियल व्हीकल यानी यूएवी तैनात रहेंगे.
वैसे इनकी तैनाती फुल ड्रेस रिहर्सल वाले दिन यानी 23 जनवरी से ही हो जाएगी. जिनमें लगे कैमरे राजधानी के चप्पे चप्पे पर नजर रखेंगे.
वैसे इस बार सुरक्षा पांच घेरे की होगी. यूएवी के अलावा, दिल्ली के सभी बड़ी इमारतों पर एनएसजी कमांडो तैनात रहेंगे. साथ ही 26 जनवरी की परेड से 24 घंटे पहले परेड के रूट की तमाम इमारतों को खाली करा लिया जाएगा, और ये इमारतें सुरक्षा एजेंसियों के कब्जे में रहेंगीं.
भारतीय नौसेना को एक नया पहरेदार मिल गया है. जो समुद्री सरहद के चप्पे -चप्पे पर नजर रखेगा. इजराइली तकनीक वाले इस मानवरहित विमान के बूते अब भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिशें आसानी से कामयाब नहीं हो पाएंगी.
आईएनएएस 343 यूएवी को वेस्टर्न नेवल कमांड में शामिल कर लिया गया है. ये एक ऐसा ड्रोन है जिसके जरिए आसमान से धरती पर की जा सकेगी सटीक निगरानी.{mospagebreak}
गुजरात से लगी करीब 1600 किलोमीटर लंबी समुद्री सीमा की निगरानी में ये ड्रोन बेहद कारगर साबित हो सकता है.
सर्चर एम के और हेरोन नाम के दो यूएवी को समुद्री सरहदों की निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा. इसराइल टेक्नोलाजी से बने ये ड्रोन अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हैं और दोनों 100 नोट्स की रफ्तार से करीब 30 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकते है.
बिना पायलट वाले इस छोटे ड्रोन को धरती पर मौजूद कंट्रोल रुम से रिमोट कंट्रोल के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है.
यूएवी राडार, कम्युनिकेशन सिस्टम और हाइटेक वीडियो कैमरे से लैस ये पायलट रहित विमान धरती पर होने वाली छोटी सी छोटी हलचल को भी कैद कर सकता है और सैंकड़ों किलोमीटर दूर होने के बावजूद कंट्रोल रुम को सारा डेटा भेजता रहता है. ये सरहद पर किसी घुसपैठिए की पहचान करने में भी सक्षम है. इस यूएवी के जरिए सर्च ऑपरेशन को भी बखूबी अंजाम दिया जा सकता है.{mospagebreak}
फिलहाल देशभर में ये यूएवी दो जगहों पर तैनात हैं. वेस्टर्न नेवल कमांड पोरबंदर से पहले साउथ नेवल कमांड में भी अनमैन्ड एरियल व्हेकिल का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अब हम आपको बताते है कि ये कैसे नेवी का मददगार साबित होगा और आखिर इसरायली कंपनी का बना ये हथियार काम कैसे करता है.
यूएवी हेरोन सबसे शक्तिशाली हथियार जो मनवरहित यान है और रफ्तार के मामले में ये यान 100 नोट्स की रफ्तार से करीब 30 घंटों तक जमीन से 28000 फीट पर उड़ सकता है.
ये इतना छोटा है कि ये महज 620 लीटर के ईधन पर ये करीब तीस घंटे तक काम कर जाता है जिसके लिए भारत में किसी अन्य विमान को पहले महीने भर का समय लग जाता था.
इसमें दो जगहों पर हाईटेक कैमरे लगे हुए है जो अपने फुल जूमिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम से कंट्रोल रुम की हर हरकत का पल पल का वीडियो फुटेज के साथ ब्यौरा देते है.
बिना पायलट के चलने वाले इस विमान को उडाना और इस पर कंट्रोल रखना कोई आसान काम नही है इसे उड़ाने से पहले फ्लाइट लाइन टेस्ट की इस मशीन से चेक किया जाता है कि इसके सभी कल पुर्जे ठीक है या नहीं. इस मशीन की क्लीन चीट के बाद ही ये उड़ान भरता है.{mospagebreak}
एक बार इसके सारे कलपुर्जे चोक होने के बाद इसे जिप्सी से टो कर रनवे पर लाकर खड़ा कर देना होता है फिर रनवे पर 15 मीटर की दूरी पर रिमोट कंट्रोल की मदद से इसे हवा में उड़ा दिया जाता है छोटा और कम वजन होने के काऱण इसे टेक ऑफ करने मे 3 मिनट से भी कम वक्त लगता है.
इसका सारा कंट्रोल, स्काड्रन के एय़रबेस कंट्रोल रुम मे होता है. यदि इसे लंबी दूरी बिना किसी लैंडिग के पूरी करनी हो तो इसका कंट्रोल दूर समंदर में खड़े युद्धपोत को दिया जा सकता है जिससे इसको कंट्रोल करना और भी आसान हो जाता है यानि कि ये फ्लेक्सिबल कमांड है.
जरुरत पड़ने पर इसपर मिसाइल भी लादी जा सकती है जो एक टैंक को ध्वस्त कर सकती है लेकिन फिलहाल नेवी ने इसे सर्च और मॉनिटरिंग सर्विलांस के लिए ही रखा है.