देश की वर्तमान आर्थिक नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुये पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वी के सिंह ने कहा कि जब अमेरिका में ही न्यूयार्क से वालमार्ट को बाहर कर दिया गया है तो भारत में उसे प्रवेश देने का क्या औचित्य है.
पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने आरोप लगाया कि जिस अमेरिकी कंपनी वालमार्ट को भारत में लाने के लिये केन्द्र की सरकार ने खुदरा व्यापार से विदेशी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का हाल में निर्णय लिया उसे अपनी किसान और जनविरोधी नीतियों के चलते अमेरिका में ही न्यूयार्क से बाहर कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को में भी उसे हटाये जाने की पूरी तैयारी कर ली गयी है.
उन्होंने आरोप लगाया कि वालमार्ट जैसी कंपनियों को देश में कारोबार की छूट देने के लिये ही केन्द्र सरकार ने हाल में खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की छूट विदेशी दबाव में दी है.
सिंह ने कहा कि किसी भी देश को अपने देश की परिस्थितियों के अनुरूप आर्थिक नीतियां लागू करनी चाहिये.
उन्होंने कहा कि भारत में प्रवेश से पहले पेप्सीकोला ने भी यही वादे किये थे कि यहां के किसानों का बहुत भला करेगी तथा देश में भारी निवेश करेगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. उल्टे यह कंपनियां देश के किसानों और आम लोगों का शोषण करने का कोई अवसर नहीं चूकती है.
उन्होंने देश की ही बहुराष्ट्रीय कंपनी रिलायंस फ्रेश का उदाहरण देते हुये कहा कि शुरू में उसने किसानों से फलों की खरीददारी की तो बड़ा लाभ लगा लेकिन फिर वह किसानों पर कम दाम में अपने उत्पाद कंपनी को बेचने का दबाव बनाने लगी.
इससे पहले एक जनसभा में पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि वालमार्ट जैसी अमेरिकी कंपनियां भारत के किसानों और आम लोगों का भला कभी नहीं कर सकती है.
उन्होंने कहा कि वालमार्ट जैसी कंपनियों के भारत में आने से किसानों का भला नहीं होने वाला है और केन्द्र सरकार ने उसे भारत में अपना कारोबार शुरू करने की इजाजत विदेशी दबाव में दी है.