खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को मंजूरी दिए जाने के बाद अब इस पर देश में सियासत गरमा गई है. कई राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर एफडीआई के विरोध में 20 सितंबर को 'भारत बंद' का आह्वान किया है.
'भारत बंद' के लिए आवाज उठाने वाली पार्टियों में समाजवादी पार्टी, वामदल और बीजेडी शामिल हैं. समझा जा रहा है कि बंद को कई अन्य अहम पार्टियों का भी समर्थन मिलेगा.
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव पहले ही रिटेल में एफडीआई का विरोध कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश की सपा सरकार ने तो बिना देर किए यह फैसला कर लिया है कि वे प्रदेश में एफडीआई नहीं होने देंगे.
वामदलों का रुख भी पहले से ही एफडीआई के खिलाफ रहा है. इनका मानना है कि रिटेल में एफडीआई से छोटे दुकानदारों के सामने रोजगार छिन जाने का संकट पैदा हो जाएगा. बीजेडी और कई अन्य पार्टियों का भी ऐसा ही मानना है.
कई राज्यों के मुख्यमंत्री साफ तौर पर एफडीआई के खिलाफ राय जाहिर कर चुके हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार द्वारा रिटेल में एफडीआई को मंजूरी देने के निर्णय को यूपीए के लिए आत्मघाती निर्णय बताया है. नीतीश ने कहा कि यह निर्णय आत्महत्या करने जैसा है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्य प्रदेश में एफडीआई लागू नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि देश के लाखों परिवारों की जीविका खुदरा क्षेत्र और छोटे व्यवसाय पर आधारित है और इस क्षेत्र में एफडीआई से बेरोजगारी बढ़ेगी और लाखों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा.
गौरतलब है कि शुक्रवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में एकल ब्रांड में 100 फीसदी और बहुब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दी गई है. बहरहाल, एफडीआई का मामला आगे क्या-क्या रंग दिखता है, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.