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एफडीआई का निर्णय सोच समझकर लिया: जनार्दन द्विवेदी

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं मीडिया प्रभारी जर्नाद्धन द्विवेदी ने केन्द्र सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि सरकार ने एफडीआई का निर्णय सोच समझकर लिया गया था.

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं मीडिया प्रभारी जर्नाद्धन द्विवेदी ने केन्द्र सरकार द्वारा खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के निर्णय को उचित ठहराते हुए कहा कि सरकार ने एफडीआई का निर्णय सोच समझकर लिया गया था.

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राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा पार्टी प्रवक्ताओं के लिए आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में द्विवेदी संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे. उन्होने कहा कि सरकार ने एफडीआई पर प्रतिक्रिया होने के बाद इस निर्णय को कुछ दिन के लिए रोका है इसका आशय यह नहीं लगाना चाहिए की सरकार ने यह निर्णय लेकर गलत किया था.

उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के हित को सुरक्षित रखने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में कई सुरक्षात्मक उपाय के प्रावधान किये गये है. द्विवेदी ने लोकपाल विधेयक के बारे में कहा कि कांग्रेस सशक्त लोकपाल विधेयक के पक्ष में है. कांग्रेस ने काफी पहले ही मजबूत लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर लिया था. उन्होने कहा कि जब अन्ना हजारे ने यह मामला उठाया, उससे पहले ही कांग्रेस सशक्त लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार कर चुकी थी.

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उन्होने कहा कि यह मामले आम सहमति से होते है. अन्ना हजारे और उनकी टीम जो इस मुददे पर कर रही है वह ठीक नहीं कर रही है. लोकपाल विधेयक को संसद के सामूहिक निर्णय पर छोडना चाहिए. उन्होने उम्मीद जताई की लोकपाल विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में रखा जा सकता है.

द्विवेदी ने उत्तर प्रदेश के ताजा चुनावी सर्वे के बारे में अपनी स्पष्ट राय व्यक्त करते हुए कहा कि सभी को पता है कि सर्वे किस तरह के आते है, पार्टी किसी भी तरह के सर्वे से न तो उत्साहित होगी और न ही निराश. उन्होने विपक्ष द्वारा पी चिदम्बरम को लेकर की जा रही मांग के बारे में कहा कि इस बारे में चिदम्बरम पहले ही जवाब दे चुके है, मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना है.

उन्होने पार्टी महासचिव और सांसद राहुल गांधी के बारे में पूछे गये प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि यह तय है कि राहुल गांधी को ही पार्टी को दिशा देनी है यह कब देनी है, यह फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को लेना है. उन्होने उत्तर प्रदेश के विभक्त करने के निर्णय को जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सोच विचार कर फैसला लेना चाहिए था.

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