समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी रिटेल में विदेशी निवेश का विरोध किया. अन्ना ने कहा सरकार की नीयत साफ़ नहीं. ज़्यादातर राज्य रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश के ख़िलाफ़. सरकार को आखिरी फैसला लेने से पहले जनता की राय जाननी चाहिए.
अन्ना हजारे ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध करते हुए कहा कि यह भारतवासियों को गुलामी की तरफ ले जाएगा और सरकारी दावों के विपरीत इससे किसानों को फायदा नहीं होगा.
हजारे ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘अगर लोग कह रहे हैं कि यह (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) नहीं होना चाहिए तो आखिर क्यों आप जोर दे रहे हैं?’ उन्होंने कहा, ‘ब्रिटिश व्यापार के लिए भारत आए और 150 साल तक हमपर राज किया, हमें गुलाम बनाया. क्या आप इसकी पुनरावृत्ति चाहते हैं?’
हजारे ने कहा, ‘वे (विदेशी निवेशक) आबो-हवा बिगाड़ देंगे. सरकार को इसपर विचार करना चाहिए.’ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर उनका कहना था, ‘अगर ऐसा था तो आजादी के 65 साल बाद किसान आत्महत्या नहीं करते.’ उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों के बीच आम सहमति की हिमायत करते हैं.
हजारे ने कहा, ‘तमाम पार्टियों को संकीर्ण विचारों से ऊपर उठना चाहिए. कोई अंतर-पार्टी मतभेद नहीं होना चाहिए.’
हजारे ने केन्द्र सरकार पर ‘कठोर’ लोकपाल विधेयक पेश करने से इनकार करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह 27 दिसंबर से नयी दिल्ली में फिर आंदोलन छेड़ेंगे. उन्होंने कहा, ‘सरकार ने शीतकालीन सत्र में कठोर लोकपाल विधेयक पारित करने का वायदा किया था. लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार इस वादे को पूरा करने के मूड में नहीं है.’
उन्होंने अपने प्रभाव में गिरावट की बात से इनकार करते हुए कहा, ‘27 दिसंबर को देश देखेगा कि कितने लोग सड़कों पर आते हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कुछ लोग क्या कहते हैं.’
हजारे ने कहा, ‘संसद का सत्र 22 दिसंबर तक चलेगा. प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) और सोनिया गांधी ने हमसे एक मौका देने को कहा था. इसलिए हम 22 दिसंबर तक इंतजार करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘अगर तब तक जन लोकपाल विधेयक नहीं आता है तो हमारा आंदोलन शुरू होगा.’ हजारे ने यह भी घोषणा की कि पांच राज्यों में आगामी चुनावों में वह और उनके सहयोगी सरकार के खिलाफ प्रचार करेंगे.
हजारे ने टीम अन्ना को मिली धमकी का जिक्र करते हुए कहा, ‘कुछ लोगों ने हमें आगाह किया है. देश के लिए मर जाना मेरी अच्छी किस्मत होगी.’ उन्होंने कहा कि जब लोकपाल मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी तब ही लोग सच्चाई से रूबरू होंगे. उन्होंने कहा, ‘हमने लोकतंत्र स्वीकार किया है और हमें संसद पर विश्वास है.’