नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के एक वरिष्ठ अधिकारी और एक पायलट समेत तीन अन्य व्यक्तियों की गिरफ्तारी के साथ दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उसने पायलटों को फर्जी मार्कशीट के आधार पर लाइसेंस प्राप्त करने के रैकेट की कमर तोड़ दी है.
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने इस मामले में इन गिरफ्तारियों के साथ ही तीन पायलट समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया है.
तीन पायलट और इस गिरोह से जुड़ा एक अन्य व्यक्ति अब भी फरार चल रहा है जबकि एक अन्य पायलट जांच में शामिल हो गया.
पुलिस उपायुक्त (अपराध) अशोक चांद ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हमने इस गिरोह की कमर तोड़ दी है. हम तीन पायलट और इस गिरोह से जुड़े एक अन्य व्यक्ति को ढूढ़ रहे हैं. यह व्यक्ति मुम्बई में फ्लाइंग प्रशिक्षक है. ये सभी फरार हैं.’ डीजीसीए के सहायक निदेशक प्रदीप कुमार (48), फर्जी मार्कशीट हासिल करने में मदद करने वाले पायलट प्रदीप त्यागी (35), उसके दो सहयोगी पंकज जैन (23) और ललित जैन (34) दिल्ली और चेन्नई से गिरफ्तार किए गए हैं.
पंकज और प्रदीप जैन कल राजधानी में गिरफ्तार किए गए जबकि ललित 24 मार्च को चेन्नई में गिरफ्तार किया गया. त्यागी को 23 मार्च को रोहिणी में गिरफ्तार किया गया था. त्यागी ने खुद भी जून 2010 में फर्जी उत्तीर्ण प्रमाण पत्र और उड़ान संबंधी अनुभव के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस हासिल किया था.{mospagebreak}
चांद ने कहा, ‘त्यागी इस गिरोह का मुख्य व्यक्ति है. मुम्बई का दीपक असातकर भी इस गिरोह से जुड़ा है. पायलटों ने लाइसेंस पाने के लिए फर्जी अंकपत्र के लिए 12-12 लाख रूपए दिए हैं. त्यागी फाइल संबंधी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कुमार को 25 हजार रूपए देता था.’ महानिदेशालय की शिकायत की जांच के बाद ये गिरफ्तारियां हुई.
डीजीसीए ने अपनी शिकायत में दावा किया था कि कुछ पायलटों ने फर्जी अंकपत्र के आधार पर लाइसेंस पा लिए हैं. सबसे पहले इंडिगो के निलंबित पायलट परमिंदर कौर गुलाटी को आठ मार्च को गिरफ्तार किया गया था. उसके चार दिन बाद एयर इंडिया के जे के वर्मा पकड़े गए थे.
इंडिगो की दूसरी संदिग्ध मीनाक्षी सहगल को भी जांच में शामिल होने को कहा गया था लेकिन उसने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ अदालत का स्थगन आदेश हासिल कर लिया था.
एमडीएलआर के पायलट स्वर्ण सिंह तलवार और सैयद हबीब अली तथा भूपिंदर सिंह फरार चल रहे हैं. भूपिंदर के पास लाइसेंस है लेकिन वह अबतक किसी एयरलाइन से नहीं जुड़ा है. इन पायलटों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कथित रूप से एयरलाइन परिवहन पायलट लाइसेंस (एटीपीएल) हासिल किया था.
चांद ने कहा, ‘दरअसल किसी को एटीपीएल हासिल करने के लिए तीन विषयों- एविएशन मैटरियोलॉजी, रेडियो एडस एंड इंस्ट्रूमेंट्स एवं एयर नैविगेशन में उत्र्तीण करना होता है और विमान का कमांडर बनाने के लिए ऐसा करना अनिवार्य है, जबकि ये पायलट इन विषयों में एक या दूसरे विषयों में अनुर्तीण रहे.’{mospagebreak}
चांद ने जांच का विवरण देते हुए कहा कि वर्मा ने असातकर से भेंट की और उसे त्यागी से उसकी पहचान करवाई. असातकर मुम्बई के एक फ्लाइंग स्कूल में प्रशिक्षक रहा है और वह वहां अंधेरी में रहता है.
उन्होंने बताया, ‘त्यागी ने ललित और पंकज की मदद से वर्मा को फर्जी अंकपत्र उपलब्ध कराया. त्यागी ने अपने पास छह लाख रूपए रखे और ललित एवं पंकज को एक एक लाख रूपए दिए. महानिदेशालय अधिकारी को 25 हजार रूपए दिए गए.’
पुलिस अधिकारी ने कहा कि गुलाटी त्यागी को 1994 से जानता था और वह फर्जी मार्कशीट के लिए उसके साथ जुड़ गया. चांद ने बताया, ‘त्यागी ने फर्जी लाइसेंस मंजूर कराने के लिए कागजात को दफ्तर में आगे बढ़ाने के लिए महानिदेशालय में संपर्क बनाया. पायलट लाइसेंस के लिए उसके पास पहुंचते थे.’ त्यागी दिल्ली फ्लाइंग क्बल से 1994 में जुड़ा और उसने 2000 में उसे करनाल से छात्र लाइसेंस हासिल किया. उसके बाद वह उत्तर प्रदेश के सादिक नगर में कार्डबोर्ड विनिर्माण का कारोबार शुरू किया.
उक्त डीजीसीए अधिकारी ने मेरठ से अपना इलेक्ट्रोनिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा पूरा किया और वह जूनियर तकनीकी सहायक के रूप में डीजीसीए से जुड़ा. फिलहाल वह विमान अभियांत्रिकी महानिदेशालय में सहायक निदेशक है.