प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अनाज की लगातार बढती मांग को देखते हुये देश में व्यापक आधार पर ‘दूसरी हरित-क्रांति’ की आवश्यकता पर बल दिया है और कहा है कि कृषि अनुसंधान पर निवेश भी बढ़ाना होगा.
प्रधानमंत्री सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 83वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश में सालाना खाद्यान्न की मांग 2020-21 तक 28.1 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा, ‘इस मांग को पूरा करने के लिए अनाज उत्पादन में सालाना दो प्रतिशत वृद्धि करनी होगी.’ सिंह ने कृषि उपज और उत्पादन बढाने में अनुंसधान और विकास के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि देश इस समय इस काम पर सकल घरेलू उत्पाद के 0.6 प्रतिशत के बराबर खर्च कर रहा है. वर्ष 2020 तक इसमें 2-3 गुना वृद्धि करने की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस बार प्रमुख फसलों के उत्पादन के नए रिकार्ड बने हैं. गेहूं, मक्का और दलहनों के रिकार्ड उत्पादन के चलते 2010-11 में अनाज उत्पादन 24.1 करोड़ टन तक होने का अनुमान है. तिलहनों के उत्पादन का भी नया रिकार्ड बना है.’’ 24.1 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का यह आंकड़ा कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे अनुमान से 50 लाख टन और 2009-10 के उत्पादन से 2.3 करोड़ टन अधिक है.
प्रधानमंत्री ने वर्ष 2010-11 के अनुमानित उत्पादन में इस वृद्धि का श्रेय किसानों और वैज्ञानिकों को दिया. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि तेज करने और अनाज के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए देश में दूसरी हरित क्रांति की जरूरत है.
सिंह ने कहा, ‘भारत में एक ऐसी दूसरी हरित-क्रांति की आवश्यकता है जो व्यापक आधारवाली, समावेशी और पर्यावरण की दृष्टि से निरंतर चल सके.’ इससे पहले प्रधानमंत्री ने इस समारोह में पंजाब और उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों को 2010-11 में अनाज उत्पादन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार प्रदान किए. समारोह में कुछ राज्यों को विशिष्ट फसलों की उत्पादन वृद्धि की दिशा में अच्छे कार्य के लिए भी सम्मानित किया गया.
समारोह में कृषि मंत्री शरद पवार, राज्य मंत्री हरीश रावत और चरण दास महंत भी उपस्थित थे.