बच्चों को मोटी जेबखर्च देना अभिभावकों को महंगा पड़ रहा है. एक अध्ययन में पाया गया कि बड़े शहरों में 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों में 45 प्रतिशत किशोरों को मोटी जेबखर्च के चलते शराब की लत लगने लगी है.
उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा दिल्ली, मुंबई, गोवा, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, चंडीगढ़ और देहरादून जैसे प्रमुख शहरों में 2,000 से अधिक लड़के.लड़कियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया, ‘‘इन शहरों में 12वीं कक्षा के 45 प्रतिशत विद्यार्थियों ने महीने में कम से कम पांच से छह बार शराब का सेवन किया.’’ सर्वेक्षण के नतीजों से संकेत मिलता है कि पिछले 10 वर्ष में किशोरों में मदिरा सेवन की आदत में करीब 100 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई. माता-पिता से आसानी से पैसा मिलने के चलते स्कूली बच्चों में शराब पीने की आदत बढ़ रही है.
सर्वेक्षण में पाया गया कि शराब के आयातित ब्रांडों की आसान उपलब्धता और माता-पिता द्वारा बच्चों पर कम ध्यान दिए जाने के अलावा बच्चों की जेबखर्च में बढ़ोतरी से बच्चों में शराब के प्रति आकषर्ण बढ़ा है. अध्ययन के मुताबिक, बच्चों में शराब पीने की आदत दिल्ली.एनसीआर और मुंबई में सबसे अधिक बढ़ी जिसके बाद चंडीगढ़ और हैदराबाद का स्थान आता है.
एसोचैम ने कहा, ‘‘हर साल विद्यार्थी 3,500 से 4,500 रुपये शराब पर खर्च करते हैं जो सॉफ्ट ड्रिंक, चाय, दूध, जूस, काफी, फिल्म या किताबों पर खर्च के मुकाबले काफी अधिक है.’’ करीब 70 प्रतिशत किशोर विदाई समारोह, नववर्ष एवं क्रिसमस की पार्टी, वैलेंटाइन डे और बर्थडे जैसे अवसरों पर शराब का सेवन करते हैं.